ओल्ड एचबी रोड स्थित बाइबल सोसाइटी के पास जमीन चिह्नित
अत्याधुनिक अस्पताल अंडरग्राउंड और ग्राउंड फ्लोर समेत कुल आठ मंजिला होगा
रांची. वर्ष 1845 में जब पहले चार जर्मन मिशनरी रांची पहुंचे, तब से छोटानागपुर क्षेत्र में जीइएल चर्च मिशन की नींव पड़ी. शुरुआती दौर में मिशनरियों ने सुसमाचार प्रचार और शिक्षा को प्राथमिकता दी. इसके चार दशक बाद उन्होंने स्वास्थ्य सेवाओं की दिशा में भी कदम बढ़ाया. उस समय हैजा, कुष्ठ रोग समेत कई बीमारियों से बड़ी संख्या में लोगों की जान जाती थी. मिशनरियों ने पुरुलिया, रांची, लोहरदगा, टकरमा और अमगांव समेत कई स्थानों पर छोटे स्वास्थ्य केंद्र खोले. रांची के गोस्सनर कंपाउंड स्थित बाबूलेन में वर्ष 1892 में एलिजाबेथ अस्पताल की स्थापना की गयी थी. यह अस्पताल खपड़े के घर में तमाम मुश्किलों के बावजूद 1950 तक संचालित होता रहा. डॉक्टरों की कमी के चलते इसे बंद करना पड़ा. इसके बाद अस्पताल की जमीन पर कुछ लोगों ने अवैध कब्जा कर लिया था. चर्च के महासचिव ईश्वर दत्त कंडुलना के अनुसार लम्बी कानूनी लड़ाई के बाद चर्च ने अस्पताल की जमीन को पुनः अपने अधिग्रहण में लिया है. गोस्सनर अस्पताल के निर्माण की प्रक्रिया शुरू की गयी है. नये अस्पताल के लिए ओल्ड एचबी रोड स्थित बाइबल सोसाइटी के पास जमीन चिह्नित की गयी है.अस्पताल में सुविधाएं :
अस्पताल निर्माण का शिलान्यास हो चुका है. अनुमानित लागत 31 करोड़ रुपये है. यह अत्याधुनिक अस्पताल अंडरग्राउंड और ग्राउंड फ्लोर समेत कुल आठ मंजिला होगा. फिलहाल अस्पताल का नक्शा स्वीकृति के लिए नगर निगम में जमा है. चर्च प्रबंधन ने बताया कि कुछ आंतरिक औपचारिकताओं के निबटारे और नक्शा स्वीकृति के बाद निर्माण कार्य प्रारंभ कर दिया जायेगा. गौरतलब है कि वर्ष 1950 के बाद जीइएल चर्च ने स्वास्थ्य सेवाओं की बजाय शिक्षण कार्यों पर ही अधिक ध्यान केंद्रित किया था. अब पुनः स्वास्थ्य क्षेत्र में चर्च की वापसी से रांची समेत आसपास के क्षेत्रों के लोगों को बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध होने की उम्मीद जगी है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

