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Jharkhand Teacher Recruitment News : झारखंड में छात्र संख्या और शिक्षकों के पदस्थापन में भारी अंतर, इन समस्यों से निपटने के लिए हेमंत सरकार ये है मास्टर प्लान

teacher student ratio in jharkhand 2021 : राज्य में कुल 510 प्लस टू स्कूल हैं. इनमें से मात्र 190 में कॉमर्स के विद्यार्थी हैं, जबकि 320 स्कूलों में कॉमर्स का एक भी विद्यार्थी नहीं है. वहीं, 226 स्कूलों में इस विषय के शिक्षक नियुक्त कर दिये गये हैं. यानी 36 स्कूलों में बिना विद्यार्थियों के ही शिक्षक कार्यरत हैं. कई ऐसे स्कूल भी हैं, जहां संस्कृत और जीव विज्ञान के शिक्षक तो हैं, लेकिन उनके विद्यार्थी नहीं हैं. इधर, इन्हीं स्कूलों में हर साल राजनीति शास्त्र में करीब 36 हजार और समाजशास्त्र में करीब 24 हजार विद्यार्थी नामांकन लेते हैं, लेकिन इन विषयों के शिक्षकों की नियुक्ति के लिए पद सृजन ही नहीं किया गया. वहीं, इन स्कूलों में जनजातीय और क्षेत्रीय भाषा की पढ़ाई तो होती है, पर इनके शिक्षकों का एक भी पद सृजित नहीं है.

jharkhand teacher latest news, teacher vacancy in jharkhand, jharkhand teacher recruitment news रांची : राज्य के प्लस टू स्कूलों में छात्र संख्या और शिक्षकों के पदस्थापन में भारी अंतर है. जिन विषयों में हजारों विद्यार्थी नामांकन कराते हैं, उनमें शिक्षकों के पद अब तक सृजित नहीं हुए हैं. वहीं, जिन विषयों में विद्यार्थी हैं ही नहीं, उनमें शिक्षकों की भरमार है. स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा तैयार की गयी रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है. हालांकि, इस रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकार उक्त विसंगतियों को दूर करने की योजना तैयार कर चुकी है.

राज्य में कुल 510 प्लस टू स्कूल हैं. इनमें से मात्र 190 में कॉमर्स के विद्यार्थी हैं, जबकि 320 स्कूलों में कॉमर्स का एक भी विद्यार्थी नहीं है. वहीं, 226 स्कूलों में इस विषय के शिक्षक नियुक्त कर दिये गये हैं. यानी 36 स्कूलों में बिना विद्यार्थियों के ही शिक्षक कार्यरत हैं. कई ऐसे स्कूल भी हैं, जहां संस्कृत और जीव विज्ञान के शिक्षक तो हैं, लेकिन उनके विद्यार्थी नहीं हैं. इधर, इन्हीं स्कूलों में हर साल राजनीति शास्त्र में करीब 36 हजार और समाजशास्त्र में करीब 24 हजार विद्यार्थी नामांकन लेते हैं, लेकिन इन विषयों के शिक्षकों की नियुक्ति के लिए पद सृजन ही नहीं किया गया. वहीं, इन स्कूलों में जनजातीय और क्षेत्रीय भाषा की पढ़ाई तो होती है, पर इनके शिक्षकों का एक भी पद सृजित नहीं है.

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2016 में खुले थे 280 स्कूल, लेकिन पद सृजन नहीं हुआ :

गौरतलब है कि पिछली सरकार के कार्यकाल में वर्ष 2016 में राज्य भर में 280 प्लस टू स्कूल खोले गये थे. साथ ही वर्ष 2016-17 में पूर्व के आधार पर पद सृजन कर इन स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति कर दी. लेकिन, पद सृजन से पहले संकायवार नामांकन लेनेवाले विद्यार्थियों की कोई रिपोर्ट तैयार नहीं की गयी.

कृषि के शिक्षक, लेकिन कंप्यूटर साइंस के नहीं

राज्य के हाइस्कूलों में कृषि और कॉमर्स जैसे विषयों के शिक्षकों के पद सृजित हैं. इन विषयों में शिक्षकों की नियुक्ति भी होती है. रांची में ही हाइस्कूल में चार स्कूलों में वर्ष 2018 में कॉमर्स विषय में शिक्षकों की नियुक्ति हुई, लेकिन इसमें एक भी विद्यार्थी नहीं हैं. वहीं, हाइस्कूल व प्लस टू स्कूलों में कंप्यूटर साइंस जैसे महत्वपूर्ण विषय के पद नहीं हैं.

विभाग ने किया िवद्यार्थियों की संख्या का अध्ययन

विभाग की रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकार ने शिक्षकों के पद सृजन में व्याप्त विसंगतियों को दूर करने की तैयारी कर ली है. अब संबंधित विषय के विद्यार्थियों की संख्या के आधार पर शिक्षकों का पद सृजित और पदस्थापन किया जायेगा. इसके लिए विभाग ने राज्य भर के हाइस्कूलों और प्लस टू स्कूलों में विषयवार मैट्रिक व इंटर की परीक्षा में शामिल होनेवाले विद्यार्थियों की संख्या का अध्ययन किया है. जनजातीय, क्षेत्रीय भाषा और कंप्यूटर साइंस जैसे विषयों के लिए भी शिक्षकों के पद सृजन की तैयारी है.

वर्ष 1976 के चिह्नित पदों पर होती है नियुक्ति

राज्य के हाइस्कूलों और प्लस टू स्कूलों में शिक्षकों के पद सृजन के विषय एकीकृत बिहार के समय से ही तय हैं. हाइस्कूल में 1976 में चिह्नित विषय और प्लस टू विद्यालयों में 1992 में चिह्नित विषय के आधार पर शिक्षकों की नियुक्ति होती है.

बिंदुवार ऐसे समझिए मामला

राज्य में राजनीति व समाजशास्त्र के 50 हजार छात्र, लेकिन इस विषय के शिक्षक का पद ही नहीं

दूसरी तरफ कॉमर्स विषय में जरूरत से ज्यादा शिक्षकों की हो गयी नियुक्ति, बिना पढ़ाये देना पड़ रहा वेतन

510 प्लस टू स्कूल हैं राज्य में, 320 में कॉमर्स का एक भी विद्यार्थी नहीं

36 स्कूलों में बिना विद्यार्थियों के ही पदस्थापित हैं कॉमर्स के शिक्षक

कई स्कूलों में हैं संस्कृत और जीव विज्ञान के शिक्षक, विद्यार्थी एक भी नहीं

जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा के लिए शिक्षक का पद नहीं, वर्तमान में कंप्यूटर साइंस जैसे छात्रों के पसंदीदा विषय के लिए भी शिक्षक का पद ही नहीं

क्यों हुआ ऐसा

हाइस्कूलों में 1976 में चिह्नित विषय और प्लस टू विद्यालयों में 1992 में चिह्नित विषय के आधार पर हुई शिक्षकों की नियुक्तियां, जबकि अब विषयों को लेकर बदल गया है ट्रेंड

हेमंत सरकार की पहल

अब विद्यार्थियों की आवश्यकता के अनुरूप पद सृजन की तैयारी कर रहा विभाग

जिन विषयों में वर्षों से नहीं हो रहा नामांकन, उन विषयों के शिक्षकों के पद होंगे सरेंडर

जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा के साथ ही कंप्यूटर साइंस जैसे विषयों के लिए होगा पद सृजन

अब तक हाइस्कूल और प्लस टू स्कूलों में शिक्षकों के पदस्थापन के दौरान विद्यार्थियों की संख्या नहीं देखी जाती थी. लेकिन, अब शिक्षकों का पदस्थापन विद्यार्थियों की संख्या के आधार पर होगा. जिस विषय में वर्षों से एक भी विद्यार्थी नामांकन नहीं ले रहा, उनके शिक्षकों के पद सरेंडर कर जरूरत के अनुसार पद सृजित किये जायेंगे. मांग के अनुरूप कंप्यूटर साइंस समेत अन्य विषयों के शिक्षकों के भी पद सृजित होंगे.

– जटाशंकर चौधरी,

निदेशक, माध्यमिक शिक्षा

Posted By : Sameer Oraon

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