रांची. झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद ने राज्य के सभी स्कूलों में शुगर बोर्ड की स्थापना का निर्देश दिया है. उक्त निर्देश राज्य के सभी डीइओ व डीएसइ को दिया गया है. परिषद के निदेशक शशि रंजन द्वारा जारी निर्देश में कहा गया है कि बच्चों में शर्करा (शुगर) के सेवन की निगरानी व कमी के लिए स्कूलों में बोर्ड बनाने की जरूरत है. पिछले एक दशक में बच्चों में टाइप-टू मधुमेह काफी बढ़ी है. जो कभी मुख्य रूप से वयस्कों में देखी जाती थी. यह काफी हद तक उच्च शर्करा के सेवन के कारण है. यह प्राय: विद्यालय में शर्करायुक्त स्नैक्स, पेय व जंक फूड की आसान उपलब्धता के कारण है. शर्करा का अत्यधिक सेवन न केवल मधुमेह के खतरे को बढ़ाता है, बल्कि मोटापा, दंत समस्याअों व अन्य विकारों में भी योगदान देता है, जो अंतत: बच्चों के दीर्घकालिक स्वास्थ्य अौर शैक्षणिक प्रदर्शन पर बुरा असर डालता है. अध्ययनों से पता चलता है कि शर्करा चार से 10 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए दैनिक कैलोरी सेवन 13 प्रतिशत अौर 11 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए 15 प्रतिशत है, जो अनुशंसित पांच प्रतिशत की सीमा से काफी अधिक है. डीइअो व डीएसइ सभी विद्यालयों (सरकारी व निजी) में शुगर बोर्ड स्थापित करें, जिससे छात्रों को अत्यधिक शर्करा सेवन के जोखिम के बारे में जागरूक किया जा सके. निदेशक ने सभी विद्यालयों को निर्देश जारी करने को कहा है. उल्लेखनीय है कि शुगर बोर्ड की स्थापना को लेकर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने भी सरकुलर जारी किया है.
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