रांची (संवाददाता). चाइल्ड इन नीड इंस्टीट्यूट (सिनी) की ओर से मंगलवार को जलवायु परिवर्तन पर राज्य स्तरीय परामर्श का आयोजन किया गया. आयोजन में बच्चों, किशोरों, जलवायु चैंपियनों, विशेषज्ञों और नीति-निर्माताओं ने हिस्सा लिया. इसमें युवाओं को जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए सामुदायिक पहलों में सक्रिय भागीदारी के लिए प्रेरित किया गया. मौके पर वन सचिव अबूबकर सिद्दीक ने कहा कि झारखंड की आदिवासी समुदायों की परंपरा जल, जंगल, जमीन की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. हमारी जिम्मेदारी है कि हम आने वाली पीढ़ी के लिए पृथ्वी को रहने योग्य छोड़ें. इसके लिए जीवनशैली में बदलाव और पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता है. साथ ही उन्होंने जलवायु जोखिमों से निपटने के लिए सामूहिक प्रयास करने की अपील की. राज्य क्षय रोग अधिकारी एवं नोडल, जलवायु परिवर्तन के डॉ कमलेश कुमार ने स्वास्थ्य पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को उजागर किया. इस अवसर पर गुमला की कुडो छतरपुर की मुखिया चुयान कुजुर और सुरसंग की मुखिया आशा सुचिता एक्का ने पंचायत स्तरीय जलवायु परिवर्तन प्लान निर्माण में सिनी के प्रयासों की सराहना की. साथ ही विशेषज्ञों और अधिकारियों ने जलवायु परिवर्तन से निपटने में पंचायतों, शहरी स्थानीय निकायों, मीडिया और नागरिक समाज संगठनों की भूमिका पर चर्चा हुई. बच्चों ने जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को सांस्कृतिक नृत्य और नाटक के माध्यम से दर्शाया. कार्यक्रम में जलवायु चैंपियनों के बनाये ईको-डिज़ाइन कलाकृतियां प्रदर्शित की गयी. सिनी ने इस आयोजन के माध्यम से अपनी 51 वर्षों की यात्रा को साझा की. मौके पर इस रंजन के पांडा, अनुप होरे, डॉ समीर चौधरी, मेघेंद्र बनर्जी, तन्वी झा सहित अन्य लोग शामिल थे.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है