रांची. भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने वित्त मंत्री राधा कृष्ण किशोर द्वारा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को लिखे पत्र पर 72 घंटे बाद भी चुप्पी पर सवाल उठाया है. श्री शाहदेव ने कहा कि मंत्री राधा कृष्ण किशोर ने स्पष्ट कहा कि प्रदेश में जो अनुसूचित जाति के लोग हैं, उनकी स्थिति आदिम जनजाति से भी बदतर है. वहीं, वित्त मंत्री के पत्र का जवाब न देकर सरकार ने मान लिया है कि झारखंड में अनुसूचित जाति व आदिम जनजाति की स्थिति बदतर है. उन्होंने कहा कि हेमंत सरकार अपने आप को आदिवासी मूलवासी और दबे कुचले लोग की सरकार होने का दावा करती है. लेकिन अब इन्हीं की सरकार के मंत्री इनको शीशा दिखा रहे हैं.
सरकार ने आदिम जनजाति के उत्थान के लिए कोई कार्य नहीं किया
उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने 2018 के अंत में अनुसूचित जाति आयोग का गठन किया था. लेकिन, हेमंत सोरेन सरकार ने पिछले साढ़े पांच वर्षों से सत्ता में रहने के बावजूद इस आयोग का पूर्ण गठन नहीं किया. यह इस जाति समूह के प्रति हेमंत सरकार की नकारात्मक सोच को दिखाता है. कमोबेश यही स्थिति अनुसूचित जाति और आदिम जनजाति की भी है. इस सरकार ने आदिम जनजाति के उत्थान के लिए कोई कार्य नहीं किया. हेमंत सरकार के कार्यकाल में अनुसूचित जनजाति भी उपेक्षा का शिकार हो रही है. धर्मांतरण करने वाली शक्तियां लगातार सक्रिय हैं और बड़े पैमाने पर अनुसूचित जनजाति के लोगों का धर्मांतरण करने का प्रयास जारी है. इस सरकार को पिछड़ा विरोधी सरकार भी कहा जाता है. क्योंकि, उन्होंने पंचायत चुनाव बिना पिछड़ों को आरक्षण दिये करा लिया था. अब भी पिछड़ा वर्ग आयोग अध्यक्ष विहीन है. स्थानीय निकाय चुनाव कराने वाले आयोग के भी अध्यक्ष नहीं हैं.
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