रांची.
पति-पत्नी के बीच किसी भी कारण से विवाद या मतभेद उत्पन्न होने पर मामला कोर्ट तक पहुंच जा रहा है. पहले की अपेक्षा मामले काफी बढ़ गये हैं. न्यूक्लियर फैमिली (एकल परिवार) इसका प्रमुख कारण है. पति अगर जेल चला गया, तो परिवार फिर जुट नहीं पाता है. उसके मिलने की संभावना नगण्य हो जाती है. परिवार टूटने से बचाना कानून व फैमिली कोर्ट की प्राथमिकता होनी चाहिए. पति-पत्नी में मतभेद के कारण वह न्यायालय की शरण में आते हैं. ऐसे में उद्देश्य होना चाहिए कि उनके मतभेद को दूर कर उन्हें मिलायें. अलग नहीं करें. इसके लिए कुछ ऐसा प्रावधान होना चाहिए. मनोवैज्ञानिक काउंसेलिंग की व्यवस्था होनी चाहिए. उक्त बातें झारखंड हाइकोर्ट व सिविल कोर्ट के अधिवक्ता जगदीश चंद्र पांडेय ने कही. वह शनिवार को प्रभात खबर की ऑनलाइन लीगल काउंसेलिंग में लोगों के सवालों पर कानूनी सलाह दे रहे थे. जमीन व आपराधिक मामलों से जुड़े सवाल ज्यादा पूछे गये. अधिवक्ता ने लोगों को आपसी सलाह मशविरा से विवाद को हल करने व अनावश्यक केस-मुकदमों से बचने की सलाह दी.डालटनगंज के श्रीराम कुमार का सवाल :
मैं बैंक में कार्यरत था. वर्ष 2023 में नौकरी से हटा दिया गया. इसके खिलाफ अपील की, लेकिन हटाने का आदेश कायम रहा. क्या उस आदेश को हम कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं?अधिवक्ता की सलाह :
अपीलीय फोरम के आदेश से यदि आप संतुष्ट नहीं हैं, तो आप हाइकोर्ट में उसके खिलाफ रिट याचिका दायर कर सकते हैं. इसका अधिकार आपको है. आप अपने अधिवक्ता से सलाह लेकर मामले में आगे बढ़ सकते हैं.कांटाटोली के राम कुमार का सवाल :
हम दो भाई हैं. पिताजी ने एक भाई को जमीन खरीद कर मकान बना कर दे दिया है. पिताजी अब नहीं रहे. वह भाई मां के नाम संपत्ति में से फिर हिस्सा मांग रहा है. क्या हो सकता है?अधिवक्ता की सलाह :
देखिए मां के नाम संपत्ति में मां के साथ-साथ आपका व भाई का भी शेयर बनेगा. पिताजी ने जमीन खरीद कर मकान बना कर भाई को दिया है, तो आप सिविल कोर्ट में बंटवारावाद दायर कर उसमें भी हिस्सा मांग सकते हैं.जामताड़ा के नवीन कुमार का सवाल :
एसडीओ कार्यालय से दस्तावेज का नकल के लिए आवेदन दिया, लेकिन नकल नहीं दी जा रही है. इसकी लिखित शिकायत उपायुक्त से भी की है. सूचनाधिकार के तहत भी आवेदन दिया, लेकिन समस्या ज्यों की त्यों है. क्या करें?अधिवक्ता की सलाह :
आप राज्य सूचना आयोग में द्वितीय अपील दायर कर सकते हैं. जरूरत पड़े, तो हाइकोर्ट में याचिका भी दायर कर सकते हैं.चाैपारण के सरदार चरणजीत सिंह का सवाल :
उन्होंने 1995 में 12 डिसमिल जमीन रजिस्ट्री से खरीदी थी. म्यूटेशन होने के बाद लगान हर साल जमा करते हैं. मकान बना कर उसमें रह रहे हैं. वर्ष 2004 में फर्जी व्यक्ति ने हुकूमनामा से 25 डिसमिल जमीन बेच दी, जिसमें उनकी भी जमीन शामिल है. क्या करें?अधिवक्ता की सलाह :
जमीन रजिस्ट्री से आपने खरीदी थी. पहले आपकी रजिस्ट्री हुई है तथा दखल-कब्जा भी आपका है. नाै साल बाद में फर्जी व्यक्ति ने जमीन बेच दी है, तो उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायें.गिरिडीह के पंकज कुमार का सवाल :
मेरे साथ लाखों की ठगी हुई है. जो पैसा लिया गया, उसके बदले में दूसरे पक्ष ने चेक दिया था, जो बाउंस कर गया है. क्या करें?अधिवक्ता की सलाह :
सिविल कोर्ट में चेक बाउंस का केस कर सकते हैं. इसमें सजा भी होगी और आपके पैसे भी वापस हो सकते हैं.इन्होंने भी पूछे सवाल :
प्रभात खबर की ऑनलाइन काउंसेलिंग में मधुपुर के जगदीश पंडित, गुमला के मनोज कुमार, मेदिनीनगर के अविनाश, हरिहरगंज के माधव सिंह, संजय कुमार, अंजनी कुमार के अलावा जामताड़ा, हजारीबाग, चाैपारण, रामगढ़ मधुपुर, देवघर, रांची से कई लोगों के फोन आये.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

