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बढ़ रही रांची की आबादी, घटते जा रहे हैं संसाधन, स्वास्थ्य, शिक्षा, चिकित्सा समेत इन क्षेत्रों पर बढ़ रहा दबाव

रांची नगर निगम क्षेत्र में दो लाख पांच हजार से अधिक घर बन गये हैं. इसके अलावा हर महीने सौ से ज्यादा नये घर बन रहे हैं. लगभग एक हजार से अधिक नयी-नयी कॉलोनियां बन गयीं. शहर में सड़कों के दोनों किनारे घर बनने से इसकी चौड़ाई घट गयी. इससे अक्सर प्रमुख सड़कों के साथ-साथ बाइलेन की सड़कें जाम रहने लगीं. इस बीच रांची को स्मार्ट सिटी बनाने की दिशा में काम हो रहा है.

Jharkhand News:राजधानी रांची की आबादी बढ़ने से यहां स्वास्थ्य, शिक्षा, चिकित्सा और परिवहन के क्षेत्र में दबाव बढ़ता जा रहा है. करीब पांच हजार हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि कंक्रीट में बदल गये. लोगों ने अपने रहने के लिए तालाबों तक को भरना शुरू कर दिया. साथ ही हरे-भरे पेड़ भी काट दिये गये.

आंकड़े बताते हैं कि रांची नगर निगम क्षेत्र में दो लाख पांच हजार से अधिक घर बन गये हैं. इसके अलावा हर महीने सौ से ज्यादा नये घर बन रहे हैं. लगभग एक हजार से अधिक नयी-नयी कॉलोनियां बन गयीं. शहर में सड़कों के दोनों किनारे घर बनने से इसकी चौड़ाई घट गयी. इससे अक्सर प्रमुख सड़कों के साथ-साथ बाइलेन की सड़कें जाम रहने लगीं. इस बीच रांची को स्मार्ट सिटी बनाने की दिशा में काम हो रहा है. इधर, शहर में जमीन कम पड़ने के कारण इसका विस्तार गांवों की तरफ खास कर कांके, अोरमांझी, नामकुम, रातू में हो रहा है. इससे जमीन की कीमत आसमान छू रही है.

शहर में परिवहन के पर्याप्त साधन भी नहीं : राजधानी में लोगों के आवागमन के लिए सिटी बसें सुचारु रूप से नहीं चल सकीं. रांची नगर निगम के पास मौजूदा समय में 25 से 30 सिटी बसें हैं. हालांकि, वह भी अक्सर खराब रहती हैं या फिर किन्हीं कारणों से शहर में चल ही नहीं रहीं. पब्लिक ट्रांसपोर्ट की कमी के कारण निजी वाहनों की संख्या बढ़ती गयी. फलस्वरूप रांची का वायु प्रदूषण एयर क्वालिटी इंडेक्स में 150 है, जबकि यह 90 से कम होना चाहिए.

बिजली और जलापूर्ति की स्थिति भी बदतर: रांची की 60 प्रतिशत आबादी अब भी सप्लाई वाटर पर निर्भर है. आबादी बढ़ने के कारण लोगों को पेयजल संकट से भी जूझना पड़ रहा है. खास कर गर्मियों में पानी के लिए मारामारी होती है. जबकि पिछले कई सालों से रांची में मात्र तीन ही कांके डैम, रुक्का डैम व हटिया डैम के भरोसे लोग हैं. रांची में वर्ष 2000 में बिजली की खपत लगभग 150 मेगावाट थी. आबादी बढ़ी, तो अब हर दिन लगभग 300 से 400 मेगावट बिजली की मांग हो रही है, लेकिन मांग पूरी नहीं हो पा रही है.

10 साल में सवा छह लाख से ज्यादा बढ़ गयी रांची की आबादी: पिछले 10 साल में रांची जिले की आबादी में छह लाख 28 हजार 313 की वृद्धि हुई है. 2011 की जनगणना के अनुसार रांची की जनसंख्या 29,14253 थी, जबकि वर्ष 2021 में अनुमानित जनसंख्या बढ़ कर 35,42566 हो गयी है. वहीं, कुल जनसंख्या में महिलाअों की अपेक्षा पुरुषों की संख्या 16 हजार 303 बढ़ गयी हैं.

आंकड़े बताते हैं कि सबसे अधिक जनसंख्या वाले जिलों में रांची राज्य में पहले नंबर है, जबकि धनबाद दूसरे नंबर पर, गिरिडीह तीसरे और पूर्वी सिंहभूम चौथे नंबर पर है. रांची में अगर धर्म के आधार पर जनसंख्या का आकलन किया जाये, तो कुल जनसंख्या में सबसे अधिक हिंदू की आबादी में वृद्धि हुई है. रांची में साक्षरता का दर 76.06 प्रतिशत है. जबकि दूसरे नंबर पर पूर्वी सिंहभूम का साक्षरता दर 75.49 प्रतिशत है.

  • आबादी बढ़ने की वजह से स्वास्थ्य, शिक्षा, चिकित्सा व परिवहन के क्षेत्र में रांची पर बढ़ता जा रहा दबाव

  • करीब पांच हजार हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि कंक्रीट में बदल गये, खत्म हो गये तालाब और हजारों पेड़ काट दिये गये

  • जमीन कम पड़ने से गांवों की ओर बढ़ रहा राजधानी का दायरा, ग्रामीण इलाकों की जमीन की कीमत आसमान छू रही

10 साल में सवा छह लाख से ज्यादा बढ़ गयी रांची की आबादी

धर्म के आधार पर 10 वर्षों में

रांची की जनसंख्या में वृद्धि

वर्ष 2011 2021

हिंदू 1612239 1959838

मुसलमान 410759 499319

ईसाई 193974 235795

सिख 4826 5866

बौद्ध 932 1133

जैन 2733 3322

अघोषित 11345 13791

अन्य 677445 823502

राजधानी की जनसंख्या में 10 साल में हुई बढ़ोतरी

वर्ष 2011 2021 बढ़ोतरी

आबादी 2,914253 3,542566 628313

पुरुष 1494937 1817245 322308

महिलाएं 1419316 1725321 306005

कोरोना काल में छोटे पड़ गये सरकारी अस्पताल: जनसंख्या में वृद्धि से संसाधन की कमी का ताजा उदाहरण यह है कि कोरोना काल में जिस रफ्तार से लोग बीमार हुुए, उनके बेहतर इलाज के लिए अस्पताल कम पड़ने लगे, बेड नहीं मिले. ऑक्सीजन तक की कमी हो गयी. इलाज महंगा होने के कारण रिम्स और सदर अस्पताल जैसे बड़े सरकारी अस्पताल भी छोटे पड़ने लगे थे.

Posted by: Pritish Sahay

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