रांची. झारखंड में कुल 650 थाने व ओपी हैं. इनमें सामान्य थानों की संख्या 457 है. 20 यातायात थाने हैं. 41 महिला थाना, 15 साइबर थाना, एक-एक एटीएस व सीआइडी थाना हैं. वहीं 24 एएचटीयू थाना और 91 ओपी हैं. लंबे समय से इन थानों और ओपी की पुलिस खटारा गाड़ियों के भरोसे कदमताल कर रही है. किसी घटना के बाद पुलिस का रिस्पांस टाइम देखा जाता है. ऐसे में खटारा गाड़ियों के भरोसे पुलिस का रिस्पांस टाइम कितना कारगर होगा, यह सहज अंदाजा लगाया जा सकता है. अभी भी 15 साल पुरानी गाड़ियों से थाना की गश्ती टीम घूमती नजर आ जायेगी.
मुख्यालय के अफसर भी 2012 मॉडल की गाड़ियों का इस्तेमाल करने को विवश
विभाग के अधिकारियों के मुताबिक झारखंड पुलिस को आधुनिक बनाने का लाख दावा किया जाता हो, लेकिन हकीकत इससे उलट है. फिलवक्त विधि व्यवस्था के मोर्चे पर 15 साल पुरानी करीब 1200 गाड़ियों का इस्तेमाल किया जा रहा है. वहीं पुरानी गाड़ियों का असर पुलिस के वरीय अफसर तक भी पहुंच गया है. जिलों को दरकिनार कर दें, तो पुलिस मुख्यालय के अफसर भी 2012 मॉडल की गाड़ियों का इस्तेमाल करने को विवश हैं, क्योंकि उनके लिए भी नयी गाड़ियां उपलब्ध नहीं है. विभागीय नियम के मुताबिक पुलिस के अफसरों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली गाड़ियां 10 साल से ज्यादा पुरानी या दो लाख किलोमीटर से ज्यादा चली हो, दोनों में से कोई भी पहले पूरा हो जाए, तो गाड़ी इस्तेमाल के लायक नहीं मानी जायेगी. लेकिन यह नियम भी वर्तमान में प्रभावी नहीं है. विभाग के अधिकारी बताते हैं कि झारखंड पुलिस के पास वर्तमान में कुल 1734 चार पहिया वाहन हैं. इनमें से 418 खराब पड़े हैं. वहीं 1316 वाहन ठीक है. इनमें से भी 1196 वाहन 15 साल पुराने हो चुके हैं. जबकि सिर्फ 120 नये वाहन ही पूरी तरह से कारगर हैं. इसी तरह से झारखंड पुलिस में कुल 1397 दो पहिया वाहन हैं. इनमें से भी 180 खराब पड़े हैं. पुराने वाहनों को थाना प्रभारियों द्वारा मरहम-पट्टी कराकर किसी तरह से काम चलाया जा रहा है. राज्य में नौ जिलों को एसआरइ (सिक्यूरिटी रिलेटेड एक्सपेंडिचर) फंड मिलता है. यहां पर किराये पर गाड़ियां लेकर अफसर कुछ अच्छी गाड़ियों का इस्तेमाल कर पाते हैं. शेष जिलों में यह सुविधा नहीं है.वाहनों की खरीद को हरी झंडी का इंतजार
पुलिस मुख्यालय की ओर से थानों के लिए 1597 चार पहिया वाहन और पुलिस अफसरों के लिए 77 नये वाहनों की खरीदारी के लिए पूर्व में प्रस्ताव भेजा गया था. लेकिन इस पर अंतिम निर्णय नहीं हाेने के कारण वाहनों की खरीद का मामला खटाई में पड़ गया है. इसके अलावा 297 दो पहिया वाहन खरीदने जाने का भी प्रस्ताव है.वीवीआइपी स्कॉट में पीसीआर की गाड़ी
वीवीआइपी का स्कॉट पहले संबंधित थाना क्षेत्र की पुलिस गश्ती की गाड़ियां करती थी. कई बार वीवीआइपी गाड़ियों के स्कॉट के दौरान गश्ती गाड़ियां ने दगा दे दिया. इस वजह से बिना स्कॉट के ही वीवीआइपी गाड़ियों को जाना पड़ता था. पूर्व डीजीपी डीके पांडेय के समय सड़क पर गश्ती के लिए नयी टाटा कंपनी की सफारी गाड़ियां खरीदी गयी थी. इसके बाद से वीवीआइपी गाड़ियों का स्कॉट यही पीसीआर गाड़ियां करती हैं. अब इनकी स्थिति भी धीरे-धीरे खराब हो रही है. कई बार सड़क के इतर होने वाली घटना में भी पीसीआर की गाड़ियों का इस्तेमाल किया जाता है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है