रांची. झारखंड हाइकोर्ट ने शिक्षा के अधिकार अधिनियम के आलोक में राज्य के स्कूलों में छात्र-शिक्षक अनुपात में शिक्षकों की भारी कमी तथा नियुक्ति को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चाैहान व जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दाैरान प्रार्थी, राज्य सरकार व झारखंड कर्मचारी चयन आयोग का पक्ष सुना. खंडपीठ ने पक्ष सुनने के बाद जनहित याचिका को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आलोक में निष्पादित कर दिया. इससे पूर्व राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन व जेएसएससी की ओर से अधिवक्ता संजय पिपरावाल ने पक्ष रखते हुए खंडपीठ को परिमल कुमार के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश की जानकारी देते हुए बताया कि सहायक आचार्य की नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार की जानी है. इसलिए इस याचिका को निष्पादित किया जाना चाहिए. पिछली सुनवाई में खंडपीठ ने जेएसएससी की ओर से शपथ पत्र के माध्यम से प्रस्तुत सहायक आचार्य परीक्षा का संशोधित टाइमलाइन स्वीकार किया था तथा परीक्षा की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने व उसके मुताबिक परीक्षाफल जारी करने का निर्देश दिया था, लेकिन आयोग ने संशोधित टाइमलाइन के बदले सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में सहायक आचार्य के 26001 पद के लिए रिजल्ट जारी किया था. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी सामाजिक कार्यकर्ता ज्या द्रेंज ने जनहित याचिका दायर की थी. उन्होंने शिक्षा के अधिकार अधिनियम (आरटीइ) के मुताबिक सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति की मांग की थी. वर्तमान में छात्र-शिक्षक अनुपात में स्कूलों में लगभग एक लाख शिक्षकों की आवश्यकता बतायी गयी थी.
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