रांची. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने रिम्स में प्रसूता रुनिया देवी की माैत मामले में पीड़ित परिवार को एक लाख रुपये मुआवजा देने का निर्देश दिया है. साथ ही भुगतान के साक्ष्य के साथ भुगतान का अनुपालन प्रतिवेदन 10 सप्ताह के भीतर प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है. आयोग ने कहा है कि मामले में अनुपालन रिपोर्ट 11 मई तक आयोग को भेजी जाये, ताकि उसे आयोग के समक्ष रखा जा सके. रिपोर्ट के मुताबिक मृतक रुनिया देवी को रक्त चढ़ाने में अनुचित व घातक देरी हुई थी, जो रिम्स जैसे प्रतिष्ठित अस्पताल में स्वीकार्य नहीं है. मृतक को तत्काल रक्त प्रदान करने में उपचार करनेवाले कर्मचारियों/डॉक्टरों की ओर से घोर लापरवाही हुई है, जो अन्य कारकों के साथ-साथ मृत्यु का कारण हो सकती है. उल्लेखनीय है कि मानवाधिकार जन निगरानी समिति झारखंड के स्टेट कन्वेनर ओंकार विश्वकर्मा ने इस मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से शिकायत की थी. आयोग ने मामले की जांच करायी थी. जांच टीम ने जो रिपोर्ट आयोग को उपलब्ध करायी थी, वह अपठनीय थी. आयोग ने रिपोर्ट पर असंतुष्ट होकर राज्य के मुख्य सचिव को पुनः नोटिस कर पठनीय रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा. इसके बाद मुख्य सचिव की ओर से आयोग को रिपोर्ट उपलब्ध करायी गयी, जिसमें इस बात की पुष्टि हुई कि रिम्स प्रशासन की लापरवाही से महिला मरीज की मौत हुई थी. क्या था मामला : गुमला निवासी प्रसूता रुनिया देवी रांची के डोरंडा में रहती थी. वह अपने पति के साथ सुरक्षित प्रसव कराने रिम्स गयी, जहां लापरवाही के कारण उसे अपनी जान गंवानी पड़ी. इमरजेंसी में मेडिसिन विभाग के डॉ जेके मित्रा के जूनियर डॉक्टरों ने उसका चेकअप किया. इस दौरान जूनियर डॉक्टरों को पता चला कि रुनिया गर्भवती है, तो उसे लेबर रूम भेज दिया. स्त्री विभाग में डॉ अनुभा विद्यार्थी के जूनियर डॉक्टरों ने खून की कमी बताते हुए उसे दोबारा इमरजेंसी में भेज दिया. परिजनों से कहा गया कि महिला का ब्लड चार ग्राम है. खून चढ़ाना अत्यंत आवश्यक है, इसलिए इमरजेंसी में ही जिस डॉक्टर ने उसे देखा है, उसे इलाज करने के लिए कहिये. आनन-फानन में परिजन उसे लेकर दोबारा इमरजेंसी में पहुंचे. वहां खून के बजाय पानी चढ़ाना शुरू कर दिया गया. परिजन रात भर इमरजेंसी से लेबर रूम व लेबर रूम से इमरजेंसी का चक्कर लगाते रहे. इसके बाद रात 12 बजे खून चढ़ाने के लिए सैंपल लिया गया. ब्लड बैंक भेजा गया, लेकिन स्क्रीनिंग करा कर खून देने में सुबह के 5:00 बज गये. इस दौरान परिजन ब्लड बैंक के बाहर ही खड़े रहे. जैसे ही खून मिला, परिजन दौड़े-भागे इमरजेंसी पहुंचे. इमरजेंसी के डॉक्टरों से मिन्नतें की कि रुनिया को खून चढ़ा दें. इस बीच सुबह 5:30 बजे रुनिया की मौत हो गयी.
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