रांची. पूर्व मंत्री व कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने कहा है कि राज्य गठन के 24 साल गुजरने के बाद भी आदिवासी जमीन बचाना बड़ी चुनौती है. पेसा कानून से ही जल-जंगल-जमीन बचेगा. सीएनटी और एसपीटी एक्ट को जमीनी स्तर पर कठोरता से लागू करने के लिए पेसा कानूनी जरूरी है. राज्य सरकार इसकी नियमावली बनाकर जल्द लागू करे.
विपक्ष पेसा कानून को लेकर अनर्गल बयानबाजी कर रहा
श्री तिर्की ने कहा कि इंडिया गठबंधन सरकार की यह सबसे महत्वपूर्ण जिम्मेवारी है कि वह पेसा नियमावली को अंतिम रूप देकर लागू करे. सिद्धांत विहीन विपक्ष का मुंह बंद करें. विपक्ष पेसा कानून को लेकर अनर्गल बयानबाजी कर रहा है. कांग्रेस नेता श्री तिर्की ने कहा कि लंबे समय तक राज्य में भाजपा और एनडीए गठबंधन की सरकार रही है, लेकिन उन्होंने केवल झारखंडी हितों के साथ खिलवाड़ किया. जल, जंगल और जमीन जैसे आधारभूत विषयों की अवहेलना की है. आज झारखंड विरोधी लोग पेसा को लेकर भ्रम फैला रहे हैं. उन्होंने कहा कि 1996 में पारित पेसा कानून के तहत आदिवासियों को उनका संविधान प्रदत्त अधिकार मिलना ही चाहिए. कानून नहीं होने के कारण पांचवीं अनुसूची का अनुपालन नहीं हो पा रहा है. केवल बड़ी-बड़ी बातें कर आदिवासियों को ठगा गया है. आदिवासी मालिक के बजाय मज़दूर, नौकर और भिखारी की तरह जिंदगी जीने को विवश हैं.भाजपा केवल दिखावा कर रही है
कांग्रेस नेता ने कहा कि केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार पिछले 11 साल से निरंतर जारी है. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राजीव गांधी, आदिवासी मुद्दों के प्रति न केवल जागरूक और संवेदनशील थे, बल्कि उन्हें वह बेहद प्राथमिकता भी देते थे. भाजपा केवल दिखावा कर रही है. उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से अपील की है कि झारखंड के हित में भी सरकार पेसा नियमावली को अंतिम रूप दे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है