Naxal News: झारखंड की राजधानी रांची और गुमला जिले को नक्सल (वामपंथी उग्रवाद) प्रभावित जिलों की लिस्ट से बाहर कर दिया गया है. जानकारी के अनुसार, इस समय अतिनक्सल प्रभावित जिलों में पश्चिम सिंहभूम (चाईबासा) पहले स्थान पर और लातेहार दूसरे स्थान पर है. इसी तरह आंशिक रूप से नक्सल प्रभाव वाले क्षेत्रों में बोकारो, चतरा, गढ़वा, गिरिडीह, खूंटी, लोहरदगा और सरायकेला-खरसांवा जिला शामिल है. ये सातों जिले ऐसे हैं, जिन्हें लेकर सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि आने वाले समय में पूरी तरह से नक्सल मुक्त करवा दिया जायेगा.
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केंद्र सरकार ने भेजा था पत्र
इसे लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से नक्सल प्रभावित राज्यों के गृह सचिव और डीजीपी को पत्र भेज कर जानकारी दी गयी है. इन राज्यों में झारखंड के अलावा आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल शामिल हैं. बता दें कि समय-समय पर केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा नक्सल (वामपंथी उग्रवाद) से प्रभावित जिलों के वर्गीकरण की समीक्षा की जाती है. केंद्र सरकार और राज्य सरकारों द्वारा मिलकर द्वारा वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूइ) से निपटने के लिए साल 2015 में स्वीकृत “राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना” को समग्र रूप से लागू किया जा रहा है. ताकि इस खतरे को निपटाया जा सके.
नयी सूची की हुई समीक्षा
वहीं, पिछले साल 2024 में नयी सूची बनी सुरक्षा संबंधी व्यय (एसआरई) योजना के अंतर्गत आनेवाले जिलों की सूची में संशोधन किया गया था. इसमें समीक्षा के बाद 58 जिलों को एसआरई जिलों के रूप में सूचीबद्ध किया गया. इनमें से 12 जिलों को “सबसे अधिक प्रभावित जिलों” के रूप में छांटा गया था. जबकि 9 जिलों को चिंता के जिले (डीओसी) और 17 को “अन्य वामपंथी उग्रवाद प्रभावित” के रूप में वर्गीकृत किया गया. इस दौरान लीगेसी थ्रस्ट यानी नक्सल से आंशिक प्रभावित जिलों का भी एक नया उपसमूह बनाया गया. इसमें 20 जिलों को शामिल किया गया. फिर, राज्य के परामर्श के बाद एक बार दोबारा केंद्रीय गृह विभाग ने लिस्ट की व्यापक समीक्षा की. इस समीक्षा के दौरान 12 मौजूदा एसआरइ योजना जिलों को बाहर रखा गया.
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