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नागपुरी भाषा का इतिहास जानने के लिए जरूरी किताब

लेखक डॉ महतो ने पुस्तक की अंतर्वस्तु को मुख्यतः पांच खंडों में विभाजित कर प्रस्तुत किया है. प्रथम खंड में ‘नागपुरी भासा कर इतिहास’ में आठ आलेख समाहित किये हैं.

डॉ दिनेश कुमार ‘दिनमणि’

सहायक प्राध्यापक, जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा संकाय

रांची विश्वविद्यालय, रांची

बहुआयामी प्रतिभा के धनी, नागपुरी के युवा लेखक, साहित्यकार, कार्टूनिस्ट, पत्रकार तथा नागपुरी भासा के प्राध्यापक डॉ बीरेंद्र कुमार महतो की नयी पुस्तक ‘नागपुरी भासा साहित: अतीत आउर बर्तमान’ वृहत् पुस्तक है. यह कई दृष्टिकोण से अनूठी है. यूं तो यह पुस्तक प्रतियोगिता परीक्षाओं को ध्यान में रखकर तैयार की गयी है, किंतु इसकी अंतर्वस्तु में नागपुरी भाषा-साहित्य के सभी पक्षों पर प्रकाश डाला गया है.

लेखक डॉ महतो ने पुस्तक की अंतर्वस्तु को मुख्यतः पांच खंडों में विभाजित कर प्रस्तुत किया है. प्रथम खंड में ‘नागपुरी भासा कर इतिहास’ में आठ आलेख समाहित किये हैं. ये आलेख नागपुरी की उत्पत्ति गाथा से लेकर वर्तमान समय के विकास सोपान तक का क्रमिक व तथ्यपरक विवरण दिया है. लेखक ने इन आलेखों में अपनी गहरी अनुसंधान दृष्टि और विशद् विश्लेषण क्षमता का परिचय दिया है.

नागपुरी के प्राचीन से लेकर आधुनिक कवि लेखकों का संक्षिप्त जीवन परिचय और उनके साहित्यिक अवदानों का विवरण अत्यंत उपयोगी है. इस खंड में प्रस्तुत सामग्री केवल परीक्षार्थियों – विद्यार्थियों के लिए उपयोगी नहीं है अपितु झारखंडी भाषा साहित्य के सामान्य – विशिष्ट जिज्ञासुओं को भी काफी आकर्षित करेगी.

द्वितीय खंड में नागपुरी के व्याकरणिक पक्ष का सांगोपांग विवेचन किया गया है. यह खंड विद्यार्थियों – शोधार्थियों के लिए अत्यंत उपादेय सिद्ध होगी. लेखक ने नागपुरी के विभिन्न भाषिक तत्वों का सटीक परिचय दिया है.

पुस्तक का अगला खंड तृतीय में नागपुरी लोक साहित्य का समग्र परिचय कराता है. लोककथा, लोकगीत, प्रकीर्ण साहित्य के अतिरिक्त नागपुरी वाद्ययंत्रों और नागपुरी सिनेमा के इतिहास से भी पाठक को रूबरू कराया गया है.

चतुर्थ खंड में नागपुरी की कुछ सर्वाधिक लोकप्रिय लोककथाओं को सरल सहज और प्रवाहमयी भाषा में प्रस्तुत किया गया है.

खंड- घ में लेखक ने नागपुरी शिष्ट साहित्य के उन ग्रंथों का प्रामाणिक परिचय दिया है जो विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं के पाठ्यक्रमों में शामिल हैं. इस क्रम में डॉ महतो ने बनकेवरा, भाग 1-2, बनफूल, भाग 1-2, मंजर, भाग 1-2, नइ मेटी (कविता संग्रह), आधुनिक नागपुरी कहनी (कहानी संग्रह), नागपुरी उपन्यास – ‘पुगरी’ का सार संक्षेप विवरण देकर अपेक्षित उपयोगी जानकारी दी है. सभी अध्याय के अंत में वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तरी पुस्तक की उपयोगिता को विस्तार देती है.

कुल मिलाकर ‘नागपुरी भासा साहित :

अतीत आउर बर्तमान’ अनेक विशेषताओं को समेटी अनूठी पुस्तक है. नागपुरी भाषा साहित्य से जुड़ी संभवतः यह पहली पुस्तक है जो नागपुरी भासा – साहित्य का सांगोपांग सम्यक सामग्रियों से लैस हो. खासकर परीक्षार्थियों के इतनी अपेक्षित सामग्री शायद ही पूर्व में प्रकाशित किसी पुस्तक में समाहित हो. इसलिए मुझे यह कहने में कतई संकोच नहीं कि यह अनूठी पुस्तक नागपुरी भाषा-साहित्य के इंटर से लेकर स्नातकोत्तर व यूजीसी-नेट के अकादमिक विद्यार्थियों के साथ ही सभी स्तर के प्रतियोगी परीक्षार्थियों के लिए पठनीय एवं संग्रहणीय है.

Prabhat Khabar News Desk
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