रांची. संत अन्ना धर्मसमाज की संस्थापिका माता मेरी बेर्नादेत्त प्रसाद किस्पोट्टा की 64वीं पुण्यतिथि की तैयारी को लेकर संत मरिया महागिरजाघर में शुक्रवार को विशेष आराधना हुई. रांची महाधर्मप्रांत के फादर अजीत सारस मुख्य अनुष्ठक और उपदेशक थे. फादर अजीत सारस ने माता मेरी बेर्नादेत्त के प्रार्थनामय जीवन के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि जीवन जैसा भी हो, उसमें ईश्वर के प्रति कृतज्ञता और धन्यवाद का भाव होना चाहिए. माता मेरी जब भी प्रार्थना करती थीं तब ईश्वर को धन्यवाद देती थीं. फादर अजीत ने बताया कि जब मेरी बेर्नादेत्त ने शादी करने से इंकार किया था, तो उनके पिता ने तलवार उठा लिया था. फिर मेरी बेर्नादेत्त मांडर से दौड़ती हुई रांची के लाह कोठी स्थित गिरजाघर जा पहुंचीं, जहां उन्होंने पवित्र सक्रामेंत के सामने घुटने के बल बैठकर ईश्वर को धन्यवाद दिया. मदर मेरी गुस्से में नहीं थी बल्कि उन्होंने अपनी जान बचानेवाले लोगों के लिए ईश्वर को धन्यवाद दिया. फादर अजीत ने अपने उपदेश में माता मेरी बेर्नादेत के जीवन से जुड़े कई और प्रसंगों को सुनाया. उन्होंने कहा कि माता मेरी बेर्नादेत्त हमेशा धर्मसंघ की बहनों को और विश्वासियों को प्रेरित करते रहेंगी. इस अवसर पर सिस्टर मेरी पुष्पा तिर्की, सिस्टर सोसन बाड़ा, सिस्टर मोनिका कुजूर आदि उपस्थित थीं.
माता मेरी बेर्नादेत्त को संत घोषित करने के लिए डॉक्यूमेंटेशन जारी
माता मेरी बेर्नादेत्त के जीवन से जुड़ी कई चमत्कारी घटनाओं पर कैथोलिक कलीसिया के लोग विश्वास करते हैं. रांची महाधर्मप्रांत द्वारा उन्हें संत घोषित करने के लिए प्रयास कर रहा है. संत घोषित करने के लिए लगभग 14 चरण होते हैं. पहला चरण धन्य घोषणा और संत घोषणा की प्रक्रिया का प्रस्ताव होता है. इसके बाद दूसरे चरण में संबंधित व्यक्ति को ईश सेवक का दर्जा मिलता है. माता मेरी बेर्नादेत अभी दूसरे चरण में है. संत अन्ना धर्मसंघ की धर्मबहनें और रांची महाधर्मप्रांत के विश्वासी लगातार प्रार्थना में जुटे हैं. साथ ही माता मेरी बेर्नादेत्त के जीवन से जुड़े विभिन्न पहलुओं का दस्तावेजीकरण किया जा रहा है, जिससे प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सके.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

