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झारखंड के माइनिंग क्षेत्रों में बढ़ रही हैं गर्भपात की घटनाएं, कहीं वायु प्रदूषण तो जिम्मेदार नहीं?

वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर की वजह से झारखंड के कई इलाके जहां माइनिंग क्षेत्र और थर्मल पावर प्लांट स्थित हैं वायु प्रदूषण की समस्या गंभीर है. विगत कुछ वर्षों से यह देखा जा रहा है कि माइनिंग क्षेत्रों की महिलाओं में गर्भपात की घटनाएं काफी बढ़ रही है, जिसकी वजह वायु प्रदूषण हो सकती है.

धनबाद शहर झारखंड के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में से एक है. यहां वायु प्रदूषण की स्थिति इतनी बुरी है कि हर पल इंसान जो सांस अपने अंदर भर रहा है वह जहरीली होती जा रही है. पीएम 10 (पर्टिकुलेट मैटर) की अगर बात करें धनबाद प्रदूषित शहरों की सूची में टाॅप 10 में आ जाता है. हालांकि पीएम 2.5 का स्तर यहां अभी नियंत्रित है. लैंसेट की हालिया रिपोर्ट यह कहती है कि वायु प्रदूषण महिलाओं के स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव डाल रहा है जिसकी वजह से गर्भपात सहित अन्य समस्याएं बढ़ रही हैं. झारखंड जहां कोयले की कई खदान है और कई इंडस्ट्री भी है, यहां की स्थिति पर विचार करना जरूरी भी है.

वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर की वजह से झारखंड के कई इलाके जहां माइनिंग क्षेत्र और थर्मल पावर प्लांट स्थित हैं वायु प्रदूषण की समस्या गंभीर है. विगत कुछ वर्षों से यह देखा जा रहा है कि माइनिंग क्षेत्रों की महिलाओं में गर्भपात की घटनाएं काफी बढ़ रही है, जिसकी वजह वायु प्रदूषण हो सकती है. साथ ही यह भी देखा जा रहा है कि बच्चियों में माहवारी यानी की पीरियड्‌स की शुरुआत काफी कम उम्र में हो जा रही है जो सामान्य नहीं है.

वायु प्रदूषण ने बढ़ायी गर्भपात की समस्या

लैंसेट की हालिया रिपोर्ट में यह बात उजागर हुई है कि भारत में बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण महिलाओं में गर्भपात और मरे हुए बच्चे के जन्म का खतरा बढ़ता जा रहा है. वायु प्रदूषण के कारण गर्भपात की समस्या शहरी क्षेत्रों से ज्यादा ग्रामीण क्षेत्रों में देखने को मिल रही है, वह भी 30 साल से अधिक की महिलाओं में यह समस्या ज्यादा देखी जा रही है. लैंसेट की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वायु प्रदूषण वाले क्षेत्रों में कई बच्चे जन्म के बाद अस्थमा,कई तरह की एलर्जी और न्यूरो संबंधित बीमारियों के शिकार भी हो रहे हैं.

वायु प्रदूषण की वजह से स्पर्म और एग प्रभावित होते हैं

रांची की स्त्री रोग विशेषज्ञ डाॅ निवेदिता का कहना है कि जब हमारे पास मामले आते हैं, तो हम यह नहीं देखते कि वे किस इलाके से आ रहे हैं लेकिन यह जरूर देखा गया है कि गर्भपात की घटनाएं बढ़ी हैं. वायु प्रदूषण की वजह से स्पर्म और एग दोनों की क्वालिटी खराब होती है, इसलिए संभव है कि यह गर्भपात की एक बड़ी वजह हो.

वहीं धनबाद की स्त्री रोग विशेषज्ञ डाॅ नुपुर चंदन कहतीं है कि वायु प्रदूषण की वजह से गर्भपात के मामले बढ़ रहे हैं ऐसी स्टडी मैंने नहीं की है, लेकिन वायु प्रदूषण की वजह से महिलाओं के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है यह सच है.

झारखंड की 65 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया की शिकार

झारखंड में 65 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया की शिकार है, जबकि बच्चों में यह आंकड़ा 69 प्रतिशत हो जाता है. ऐसे में अगर महिलाएं गर्भवती होती हैं और उन्हें वायु प्रदूषण की वजह से कोई और बीमारी भी हो जाती है तो बहुत संभावना है कि उनका गर्भपात हो जाये. झारखंड के ग्रामीण इलाकों में आज भी जलावन के लिए लकड़ियों और कोयले का प्रयोग किया जाता, जो वायु प्रदूषण की एक बड़ी वजह है. लेकिन प्रदेश में वायु प्रदूषण को रोकने के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड गंभीरता से कोई कार्रवाई कर रहा हो, ऐसा नजर नहीं आता है.

क्या कहता है झारखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

वहीं इस संबंध में झारखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सचिव वाई के दास का कहना है कि झारखंड के किसी भी शहर में प्रदूषण का लेवल खतरनाक स्थिति तक नहीं पहुंचा है. धनबाद जहां वायु प्रदूषण सबसे ज्यादा था वहां भी कंट्रोल कर लिया गया है और स्थिति सामान्य है. इंडस्ट्री हैं, खदान हैं, गाड़ियां हैं, तो प्रदूषण भी है, लेकिन वह खतरनाक स्थिति तक नहीं पहुंचा है. माइनिंग क्षेत्रों में वायु की गुणवत्ता की जांच होती है और जहां भी ऐसा नजर आता है कि स्थिति अनियंत्रित हो गयी है वहां अविलंब कार्रवाई की जाती है.

जागरूकता का है अभाव

कोयला खदान क्षेत्रों में यह उनकी आजीविका से जुड़ा मसला है, यही वजह है कि आम लोग स्वास्थ्य को दरकिनार कर रोजी-रोटी पर फोकस करते हैं. उनके लिए वायु प्रदूषण कोई मसला नहीं है. जबतक वे इसकी गंभीरता को समझते हैं, तबतक काफी देर हो जाती है. यहां के लोगों में कई तरह की बीमारियां देखने को मिल रही हैं जिनमें श्वसन तंत्र से संबंधित बीमारी सबसे आम है, उसके बाद डायबिटीज, हृदय रोग, लंग्स कैंसर, डिमेंशिया जैसी बीमारी भी देखने को मिल रही है. ‘स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर 2020’ (SoGA 2020) भी यह कहता है कि PM2.5 और PM10 के उच्च स्तर के कारण भारत में 1,16,000 से अधिक भारतीय शिशुओं की मौत हुई है.

Posted By : Rajneesh Anand

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