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झारखंड में मातृ मृत्यु अनुपात गुजरात और कर्नाटक से कम, भारत से पहले हमने हासिल किया एसडीजी लक्ष्य

Maternal Mortality Ratio: भारत इस लक्ष्य के इतने करीब इसलिए पहुंच पाया है, क्योंकि आठ राज्यों में बेहतरीन सुधार हुए हैं. इन 8 राज्यों में झारखंड भी शामिल है. झारखंड में मातृ मृत्यु दर 54 है, जो गुजरात के 57 और कर्नाटक के 69 से कम है.

मातृ मृत्यु अनुपात (Maternal Mortality Ratio – MMR) के मामले में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की ओर से तय किये गये सस्टनेबल डेवलपमेंट गोल (Sustainable Development Goal – SDG) के लक्ष्य को हासिल कर लिया है. केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ मनसुख मंडाविया (Dr Mansukh Mandaviya) ने ट्वीट करके यह जानकारी दी है. उन्होंने कहा है कि देश लगातार इस लक्ष्य को हासिल करने की ओर बढ़ रहा है.

भारत में 130 से घटकर 97 हुआ मातृ मृत्यु दर

श्री मंडाविया ने कहा है कि वर्ष 2014-16 में मातृ मृत्यु अनुपात 130 था, जो वर्ष 2018-20 में घटकर 97 रह गया है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है कि हालांकि इस मामले में भारत ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (National Health Policy -NHP) के तहत जो लक्ष्य रखा था, उसे हासिल कर लिया है. इस दौरान 8 राज्यों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है और उन्होंने सतत विकास लक्ष्य (SDG) को भी हासिल कर लिया है.

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वर्ष 2030 तक मातृ मृत्यु दर को 70 करने का लक्ष्य

स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने इसे देश की बड़ी उपलब्धि बताया है. बता दें कि रजिस्ट्रार जेनरल ऑफ इंडिया (Registrar General of India – RGI) की ओर से एक स्पेशल बुलेटिन जारी की गयी है, जिसमें 6 बिंदुओं पर फोकस किया गया है. बुलेटिन में कहा गया है कि भारत में अब एक लाख बच्चों का जन्म होता है, तो 97 माता की मौत हो जाती है. सरकार ने वर्ष 2030 तक इसे 70 करने का लक्ष्य रखा है.

झारखंड समेत 8 राज्यों ने किया शानदार प्रदर्शन

भारत इस लक्ष्य के इतने करीब इसलिए पहुंच पाया है, क्योंकि आठ राज्यों में बेहतरीन सुधार हुए हैं. इन 8 राज्यों में झारखंड भी शामिल है. झारखंड में मातृ मृत्यु दर 54 है, जो गुजरात के 57 और कर्नाटक के 69 से कम है. केरल में मातृ मृत्यु अनुपात 19 है, जबकि महाराष्ट्र में 33, तेलंगाना में 43, आंध्रप्रदेश में 45 और तमिलनाडु में 54 है. इसके पहले सिर्फ 6 राज्य ऐसे थे, जिन्होंने एसडीजी का लक्ष्य हासिल कर लिया.

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सरकार की योजनाओं का हुआ फायदा, मातृ मृत्यु दर में आयी कमी

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2014 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (National Health Mission – NHM) के तहत भारत ने माता एवं नवजात को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने पर जोर दिया, ताकि मातृ मृत्यु अनुपात को कम किया जा सके. इसके लिए एनएचएम ने स्वास्थ्य सुविधाओं के आधारभूत ढांचा के निर्माण पर बड़े पैमाने पर निवेश किया. सरकार ने MMR टार्गेट को हासिल करने के लिए जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम (Janani Shishu Suraksha Karyakram) और जननी सुरक्षा योजना (Janani Suraksha Yojana) में सुधार किये गये, उन्हें अपग्रेड किया गया. साथ ही सुरक्षित मातृत्व आश्वासन (SUMAN) जैसी पहल की.

माता और नवजात की उचित देखभाल हुई सुनिश्चित

प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (Pradhan Mantri Surakshit Matritva Abhiyan -PMSMA) के तहत हाई रिस्क प्रेग्नेंसी की पहचान की जा रही है और उसके निदान में मदद दी जा रही है. इसकी वजह से मातृ मृत्यु दर को कम करने में काफी मदद मिली है. लक्ष्य (LaQshya) और दाई (Midwifery) जैसे अभियान की शुरुआत की गयी है, जिससे माता एवं शिशु की उचित देखभाल सुनिश्चित हो सकी है.

2030 से पहले हासिल कर लेंगे एसडीजी का लक्ष्य: डॉ मनसुख मंडाविया

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग को उम्मीद है कि भारत में जिस तरह से स्वास्थ्य सेवाओं को विस्तार मिल रहा है. गर्भवती महिलाओं के सुरक्षित प्रसव की व्यवस्था और स्वास्थ्य के आधारभूत ढांचा में विकास की मदद से मातृ मृत्यु दर को 70 तक लाने के लक्ष्य को भारत सरकार वर्ष 2030 से पहले ही हासिल कर लेगी.

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