रांची. किसी की मदद उसकी मजहब, जात, बिरादरी पूछकर न करें. इससे अल्लाह पाक नाराज हो जाते हैं. उक्त बातें मस्जिद जाफरिया में आयोजित तीन दिवसीय मजलिसे गम में मौलाना हाजी सैयद तहजीबुल हसन रिजवी ने कही. उन्होंने कहा कि हजरत अली का एक ऐसा गुलिस्तान है, जिसमें इमामत के रंग-बिरंगे फूल नजर आते हैं. इस फूल की खुशबू के बगैर इस्लाम की खुशबू महसूस नहीं की जा सकती है. उन्होंने कहा कि अगर एक इंसान चाहे तो दूसरे इंसान की सारी मुसीबत को दूर कर सकता है. मजलिस का आरंभ तिलावते कलाम पाक से हुआ. सोजखानी सैयद अता इमाम रिजवी ने की. पेश खानी अमोद अब्बास, यावर हुसैन गाजीपुरी, यूनुस रजा, निहाल हुसैन सरियावी ने की. कार्यक्रम के मुख्य आयोजक मेहंदी इमाम और जफरुल हसन हैं. शुक्रवार की रात 10 बजे मस्जिद जाफरिया परिसर से हजरत अली की शहादत की याद में मातमी जुलूस निकलेगा. जो मस्जिद से विक्रांत चौक, कर्बला चौक होते हुए कर्बला में जाकर संपन्न होगा.
झारखंड तंजीम ने किया इफ्तार का आयोजन
झारखंड तंजीम के संस्थापक शमशेर आलम व रांची महानगर कमेटी ने हिंदपीढ़ी थर्ड स्ट्रीट स्थित कार्यालय में गुरुवार को इफ्तार का आयोजन किया. इस अवसर पर प्रदेश व देश की खुशहाली और अमन-चैन के लिए दुआ मांगी गयी. मंत्री हफीजुल हसन अंसारी व इरफान अंसारी ने कहा कि इफ्तारी सामाजिक मिसाल है. इस अवसर पर हिदायतुल्लाह खान, फरीद खान, कारी अंसारुल्लाह, हिंदपीढ़ी थाना प्रभारी, जय सिंह यादव, अब्दुर्रहमान, तनवीर गद्दी, राशिद जमील, अकील अख्तर, फिरोज, सन्नी, तबरेज, लाडले खान, बाबू, पप्पू, सज्जाद इदरीसी, जमील अख्तर उपस्थित थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है