15.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

आदिवासियों की आय का मुख्य स्रोत है ‘झारखंड का किशमिश’, फायदे जानकर आप भी हो जायेंगे इसके मुरीद

महुआ का इस्तेमाल कई तरह से किया जाता है. महुआ के बीज से तेल निकालकर उसका उपयोग घी के रूप में भी किया जाता है. इतना ही नहीं, महुआ से बिस्कुट, चॉकलेट, जूस व पाचक आदि भी बनाये जा रहे हैं. महुआ से बनी ये चीजें बेहद स्वादिष्ट और पौष्टिक होती हैं.

महुआ यानी ‘झारखंड की किशमिश’ (Raisin of Jharkhand) प्रदेश के आदिवासी समुदाय की आय का मुख्य स्रोत माना जाता है. पर्व-त्योहार से लेकर शादी-ब्याह तक में महुआ का इस्तेमाल होता है. इसकी चर्चा स्थानीय गीतों के अलावा हिंदी, भोजपुरी, मैथिली और अन्य प्रांतों के लोकगीतों में भी है. यही महुआ आदिवासी समाज के खानपान में रचा-बसा है.

कई बीमारियों में फायदेमंद है महुआ का सेवन

बसंत के आते ही महुआ के वृक्ष से पत्ते झरने लगते हैं. कुछ दिनों बाद उसमें फूल आते हैं. ये रात भर झरते रहते हैं. महुआ पेड़ के चारों ओर फूलों की सुगंध फैल जाती है. इन फूलों को ग्रामीण सुखाकर रख लेते हैं. आदिवासी गर्मी के दिनों में इससे लजीज व्यंजन बनाते हैं. माना जाता है कि गठिया, अल्सर जैसी बीमारियों में महुआ का सेवन फायदेमंद है.

घी के रूप में भी होता है महुआ के तेल का इस्तेमाल

महुआ का इस्तेमाल कई तरह से किया जाता है. महुआ के बीज से तेल निकालकर उसका उपयोग घी के रूप में भी किया जाता है. इतना ही नहीं, महुआ से बिस्कुट, चॉकलेट, जूस व पाचक आदि भी बनाये जा रहे हैं. महुआ से बनी ये चीजें बेहद स्वादिष्ट और पौष्टिक होती हैं. इसलिए बाजार में इनकी डिमांड भी अच्छी-खासी होती है.

Also Read: Jharkhand: पयाल के पेड़ लगाकर खूब करें कमाई, अंग्रेजों के जमाने से ग्रामीण आदिवासियों की आय का रहा है जरिया
सैकड़ों वर्षों तक फल-फूल देते हैं महुआ के पेड़

महुआ का पेड़ विशालकाय होता है. हालांकि, यह बहुत ऊंचा नहीं होता, लेकिन इसका तना काफी मोटा होता है. बेहद तेजी से बढ़ने वाले इस पेड़ के तने में बहुत सी गांठें होती हैं. 20-25 वर्षों में फल-फूल देना शुरू करता है और सैकड़ों वर्षों तक फलता-फूलता रहता है. झारखंड के जंगलों में बहुतायत में पाये जाने वाले इस पेड़ को लोग अपने घर के आसपास लगाते हैं.

महुआ की लकड़ियों के हैं अलग-अलग इस्तेमाल

महुआ के पेड़ के फल एवं फूल का तो इस्तेमाल होता ही है, इसकी लकड़ियों को भी अलग-अलग तरीके से काम में लिया जाता है. महुआ के फल की सब्जी बनती है. साबुन, डिटर्जेंट, वनस्पति मक्खन बनाने तथा ईंधन के रूप में इसके तेल का प्रयोग किया जाता है. इसकी खल्ली का उपयोग चोकर के रूप में जानवरों को खिलाने में करते हैं. खेतों की उपज बढ़ाने के लिए भी खल्ली का प्रयोग करते हैं.

Also Read: झारखंड के किसानों को मालामाल कर देगा करंज, डायबिटीज-अल्सर समेत आधा दर्जन से अधिक बीमारियों की है दवा
20 से 200 किलो तक फूल देते हैं महुआ के पेड़

झारखंड के अलावा इसके पड़ोसी राज्यों पश्चिम बंगाल और ओड़िशा में भी महुआ के पेड़ पाये जाते हैं. इन राज्यों में महुआ के फूलों को सुखाकर रखा जाता है. शराब उत्पादन में महुआ का खूब इस्तेमाल होता है. ग्रामीण स्तर पर भी और औद्योगिक स्तर पर भी. इसकी छाल से दवा बनायी जाती है. लकड़ी से छोटे-मोटे औजार बनते हैं. इस वृक्ष साल में 20 किलो से 200 किलो तक महुआ फूल देते हैं.

Mithilesh Jha
Mithilesh Jha
प्रभात खबर में दो दशक से अधिक का करियर. कलकत्ता विश्वविद्यालय से कॉमर्स ग्रेजुएट. झारखंड और बंगाल में प्रिंट और डिजिटल में काम करने का अनुभव. राजनीतिक, सामाजिक, राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय विषयों के अलावा क्लाइमेट चेंज, नवीकरणीय ऊर्जा (RE) और ग्रामीण पत्रकारिता में विशेष रुचि. प्रभात खबर के सेंट्रल डेस्क और रूरल डेस्क के बाद प्रभात खबर डिजिटल में नेशनल, इंटरनेशनल डेस्क पर काम. वर्तमान में झारखंड हेड के पद पर कार्यरत.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel