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Ranchi news : पिता से सीखे राजनीति के गुर और तेवर, दोस्तों के अजीज हैं हेमंत

हेमंत बचपन में खेलकूद में आगे रहते थे. वह बच्चों को लीड करते थे. यानी लीडरशिप की क्षमता उनमें विकसित हो रही थी.

रांची. 10 अगस्त 1975 को रामगढ़ के दूरस्थ गांव नेमरा में शिबू सोरेन व रूपी सोरेन के दूसरे पुत्र के रूप में हेमंत सोरेन का जन्म हुआ था. तब किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी कि यह बालक बड़ा होकर एक दिन सत्ता की बागडोर संभालेगा. उस समय शिबू सोरेन महाजनी प्रथा के खिलाफ आंदोलन में अपनी पहचान बना चुके थे. कई बार उन्हें छिप कर रहना पड़ता था. जब हेमंत का जन्म हुआ, तो उस समय भी वह घर पर नहीं थे. हेमंत बचपन में खेलकूद में आगे रहते थे. वह बच्चों को लीड करते थे. यानी लीडरशिप की क्षमता उनमें विकसित हो रही थी.हेमंत सोरेन की आरंभिक शिक्षा बोकारो सेक्टर-फोर स्थित सेंट्रल स्कूल से हुई. स्कूल में भी दोस्तों के साथ वह खूब मस्ती किया करते थे. अपने ग्रुप के वह लीडर होते थे. उस समय वह बोकारो की सड़कों पर बेपरवाह साइकिल से घूमा करते थे. बोकारो सेक्टर छह स्थिति शॉपिंग सेंटर के पास हेमंत का दोस्तों के साथ मजमा लगता था. यह बात उनके साथियों को आज भी याद है. कई साथी आज बोकारो में नहीं हैं, पर जब भी आते हैं, तो हेमंत से मिलना नहीं भूलते. हेमंत भी यदि बोकारो में रहते हैं, तो अपने साथियों से जरूर मिलते हैं.

मारुति 800 कार मिली थी

हेमंत सोरेन के दोस्तों के अनुसार, उन्हें मारुति 800 कार मिली थी. अकसर सारे दोस्त इससे घूमा करते थे. एक बार पुलिस ने पकड़ लिया. तब हेमंत ने यह नहीं बताया कि वह शिबू सोरेन के बेटे हैं. पुलिस ने सबको डांट कर वहां से भगा दिया. हेमंत काफी डरे हुए थे. उन्हें डर था कि कहीं घरवालों को इस बात का पता न चल जाये. घर पहुंचने के बाद भी उन्होंने परिवारवालों को इस बात की जानकारी नहीं दी थी.

पटना से मैट्रिक की

1989 में हेमंत सोरेन ने पटना के एमजी हाइस्कूल में 10वीं कक्षा में दाखिला लिया. पटना से ही उन्होंने मैट्रिक की पढ़ाई की. इसके बाद बोकारो के दोस्तों का साथ भी छूटता गया. 1990 में उन्होंने बोर्ड की परीक्षा पास की. इसके बाद पटना विश्वविद्यालय से आइएससी 1994 में किया. इसके बाद हेमंत ने बीआइटी मेसरा में इंजीनियरिंग में दाखिला लिया.

कॉलेज में भी लीडरशिप क्वालिटी दिखती थी

मेसरा के उनके कई साथी बताते हैं कि हेमंत तब काफी मेच्योर थे. उनकी बातों में गंभीरता होती थी. पर दोस्तों के संग चुलबुले हो जाते थे. कॉलेज में भी उनकी लीडरशिप क्वालिटी दिखती थी. कोई भी माहौल हो, वह सबको साथ लेकर चलने की बात करते थे. हॉस्टल में ही रहते थे. संस्थान में अनुशासन का पालन करते थे. उन्होंने कभी जाहिर नहीं होने दिया कि वह झारखंड की मांग करने वाले एक शक्तिशाली नेता शिबू सोरेन के पुत्र हैं. सादगी से ही रहते थे. हां, छुट्टियों में हम जरूर किसी रेस्त्रां में जाते थे या फिल्म देखते थे. फिल्में सुजाता सिनेमा या उपहार सिनेमा (अब गैलेक्सिया मॉल) में ही देखते थे. हेमंत को गाना सुनना पसंद था. जब भी लांग ड्राइव पर जाते, तो गाना जरूर सुनते थे. हेमंत को गाड़ियों का भी शौक है. पुरानी गाड़ी को भी चकाचक रखते हैं. इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी हुई. इसी बीच उनकी शादी भी हो गयी. उनकी पत्नी भी इंजीनियर हैं, जो आज गांडेय की विधायक भी हैं.

छात्र मोर्चा से शुरू की थी राजनीति

हेमंत सोरेन ने झामुमो के छात्र संगठन झारखंड छात्र मोर्चा के अध्यक्ष पद से राजनीति में कदम रखा. उस समय उनके बड़े भाई दुर्गा सोरेन राजनीति में सक्रिय रहते थे. 21 मई 2009 को जब बड़े भाई दुर्गा सोरेन का निधन हो गया, तब हेमंत पूरी तरह राजनीति में कदम रखते हुए पिता शिबू सोरेन का सहारा बने. आज वह चौथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं.

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