रांची. राजधानी में तीन दिवसीय इस्टर्न हिमेटोलॉजी ग्रुप-2025 कॉन्फ्रेंस का रविवार को समापन हो गया. इस कॉन्फ्रेंस में 60 से ज्यादा राष्ट्रीय स्तर के हिमेटोलॉजी के प्रोफेसर शामिल हुए. कॉन्फ्रेंस के दौरान सिकल सेल एनीमिया पर भी परिचर्चा हुई. इसमें झारखंड के 120 चिकित्सक शामिल हुए. सम्मेलन में सीएमसी वेल्लोर, किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी लखनऊ, एम्स दिल्ली समेत देश के अलग-अलग हिस्से से डॉक्टर शामिल हुए. मौके पर किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के डॉ शैलेंद्र प्रसाद वर्मा ने बताया कि रक्त संबंधी बीमारी के मरीज काफी देर से पहुंचते हैं. वे ऐसी स्थिति में पहुंचते हैं, जब हालत खराब हो जाती है. उन्होंने कहा कि कांफ्रेंस में एप्लास्टिक एनीमिया, ब्लड कैंसर, शरीर में खून की कमी, प्लेटलेट्स की कमी, बोन मैरो ट्रांसप्लांट, शरीर में बने गांठ की जांच और भ्रांतियों पर चर्चा हुई. वहीं, इएचजी के ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेट्री डॉ अभिषेक रंजन ने कहा कि झारखंड में हिमेटोलॉजी विभाग देश की तुलना में काफी पीछे है. जब मरीज को बीमारी का पता चलता है, तब तक देर हो जाती है. ब्लड कैंसर के मरीज भी जानकारी के अभाव में लास्ट स्टेज में पहुंचते हैं. लोगों को जागरूक करना हमारा उद्देश्य है. वहीं सिविल सर्जन रांची डॉ प्रभात कुमार ने कहा कि टीम वर्क के साथ कांफ्रेंस सफलता पूर्वक संपन्न हुआ. कॉन्फ्रेंस से झारखंड के डॉक्टर को फायदा मिला है. पीजी के स्टूडेंट्स, एनजीओ के लोग भी शामिल हुए. तीन दिवसीय इस कांफ्रेंस में 450 से ज्यादा डॉक्टर शामिल हुए.
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