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Kamlesh Singh Bail Granted by Jharkhan High Court: झारखंड के बहुचर्चित जमीन घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) को बड़ा झटका लगा है. झारखंड हाईकोर्ट ने कमलेश कुमार उर्फ कमलेश सिंह को जमानत दे दी है. जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय ने कमलेश सिंह की जमानत याचिका को शुक्रवार 27 सितंबर 2025 को स्वीकार कर लिया. कोर्ट ने ED द्वारा लगाये गये आरोपों पर कई महत्वपूर्ण सवाल भी खड़े किये.
16 पन्ने में हाईकोर्ट ने दिया अपना जजमेंट
कोर्ट ने अपने 16 पन्ने के जजमेंट में कहा कि ED द्वारा पेश किये गये साक्ष्य अपर्याप्त हैं और वे सीधे तौर पर कमलेश सिंह को मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध से नहीं जोड़ते. यह फैसला ED की जांच की प्रक्रिया और उसके साक्ष्यों की मजबूती पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगाता है. कमलेश सिंह को पिछले वर्ष रांची में एक जमीन घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था. ED ने उन पर आरोप लगाया था कि गलत तरीके से जमीन के सौदों और मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल हैं.
Kamlesh Singh Bail: ईडी के सबूत संदेह पर आधारित- कोर्ट
कोर्ट ने कहा कि ईडी ने जो सबूत पेश किये हैं, वे केवल संदेह पर आधारित हैं, न कि पुख्ता प्रमाण पर. ईडी की टीम कमलेश सिंह और कथित जमीन घोटाले के बीच सीधा संबंध स्थापित करने में विफल रही. जजमेंट में साफ तौर पर कहा गया कि प्रवर्तन निदेशालय ने कमलेश सिंह को सीधे तौर पर अपराध से नहीं जोड़ा. मनी ट्रेल के जो दावे किये गये, वे संतोषजनक नहीं थे.
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आरोपों के आधार पर किसी की प्रतिष्ठा धूमिल नहीं कर सकते
कोर्ट ने अप्रत्यक्ष रूप से इस बात की ओर भी इशारा किया कि यह मामला राजनीतिक प्रतिशोध का एक हिस्सा हो सकता है. जजमेंट में कहा गया है कि किसी भी व्यक्ति की प्रतिष्ठा को महज आरोपों के आधार पर धूमिल नहीं किया जा सकता.
दोष सिद्ध होने से पहले जमानत का अधिकार : कोर्ट
हाईकोर्ट कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन का अधिकार) का हवाला देते हुए कहा कि जब तक कोई व्यक्ति दोषी सिद्ध न हो जाये, तब तक उसे लंबे समय तक जेल में रखना उचित नहीं है, खासकर तब, जब साक्ष्य मजबूत न हों. कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि कमलेश सिंह लगभग एक साल से हिरासत में हैं और इस दौरान ईडी कोई निर्णायक सबूत नहीं जुटा पायी. ऐसे में उन्हें आगे भी हिरासत में रखना न्यायसंगत नहीं है.
कमलेश के वकील बोले- न्याय की जीत, समर्थकों में खुशी की लहर
हाईकोर्ट के फैसले पर कमलेश सिंह के वकील ने मीडिया को बताया कि यह फैसला न्याय की जीत है और सच आखिरकार सामने आ गया. दूसरी ओर, ईडी के सूत्रों ने कहा है कि वे इस फैसले का अध्ययन करेंगे और सुप्रीम कोर्ट में अपील करने पर विचार कर सकते हैं.
हाईकोर्ट के जजमेंट के मुख्य अंश
- अभियुक्त और अपराध के बीच कोई सीधा संबंध नहीं पाया गया.
- प्रस्तुत साक्ष्य केवल संदेह पर आधारित हैं, पुख्ता प्रमाण पर नहीं.
- किसी भी व्यक्ति को केवल आरोपों के आधार पर लंबे समय तक हिरासत में नहीं रखा जा सकता.
- संदेह के लाभ (Benefit of Doubt) का सिद्धांत अभियुक्त के पक्ष में जाता है.
- ED की जांच अभी तक किसी निर्णायक निष्कर्ष पर नहीं पहुंची है.
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