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मॉडल थानों की छवि पर कबाड़ का दाग : करोड़ों का सामान बना सिरदर्द

राजधानी सहित पूरे जिले में थाना, ओपी और टीओपी मिलाकर 45 पुलिस स्टेशन हैं, जिनमें रांची में 14 मॉडल अथवा स्मार्ट थाना शामिल हैं.

रांची. राजधानी सहित पूरे जिले में थाना, ओपी और टीओपी मिलाकर 45 पुलिस स्टेशन हैं, जिनमें रांची में 14 मॉडल अथवा स्मार्ट थाना शामिल हैं. इनमें कोतवाली, लोअर बाजार, लालपुर, चुटिया, अरगोड़ा, डोरंडा, जगन्नाथपुर, गोंदा, कांके, नामकुम आदि थाना शामिल हैं. इन सभी थानों में लगभग 10 करोड़ रुपये से अधिक का कबाड़ पड़ा हुआ है. मॉडल और स्मार्ट थानों के सामने फैला यह कबाड़ एक बदनुमा दाग जैसा प्रतीत होता है. थाने में प्रवेश करते ही सबसे पहले कबाड़ पर नजर जाती है, जबकि भवन या बोर्ड पर बाद में. दूसरे राज्यों से आने वाले आगंतुकों के लिए यह दृश्य राजधानी की पुलिस व्यवस्था की छवि को धूमिल करता है. कबाड़ में मुख्य रूप से दो और तीन पहिया वाहन, टेबल, कुर्सी, आलमारी, वाशिंग मशीन, पलंग, लोहे का बेड, दरवाजे के चौखट आदि शामिल हैं. कोतवाली थाना राजधानी का प्रमुख मॉडल थाना माना जाता है. जी प्लस टू भवन का उद्घाटन चार नवंबर 2017 को तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने किया था. लेकिन रख-रखाव की कमी और कबाड़ के कारण यह अब मॉडल थाना जैसा नहीं दिखता. आगंतुक कक्ष में रखी कुर्सियां कबाड़ बन चुकी हैं. हैंगिंग फैन काम नहीं करता और लाइट की स्थिति भी खराब है. लोअर बाजार थाना भी जी प्लस टू मॉडल थाना है. यह राज्य का पहला थाना है जहां लिफ्ट लगी है. इसका उद्घाटन 15 फरवरी 2013 को राज्यपाल के सलाहकार के विजय कुमार ने किया था. यहां भी सामने कबाड़ फैला हुआ है. चुटिया थाना की स्थिति और भी खराब है. बाउंड्री के आगे, आंगन में केवल कबाड़ फैला है. रोड जाम न हो, इसके लिए कुछ वाहन एक के ऊपर एक रखे गये हैं. सुखदेवनगर, बरियातू, सदर जैसे गैर-मॉडल थानों में भी परिसर कबाड़ से भरे हैं.

नीलामी में भी है पेंच

वर्ष 2019 में चार पहिया और 2023 में दो व तीन पहिया वाहनों की नीलामी हुई थी. थाना प्रभारी स्तर के अधिकारियों का कहना है कि नीलामी में कई पेंच हैं. अधिकतर वाहन किसी न किसी केस से जुड़े होते हैं. जब तक केस निष्पादित नहीं होता, वाहन नीलाम नहीं किया जा सकता. हालांकि पशुपालन घोटाले में जब्त कुछ वाहन और घरेलू सामान कोर्ट के रिलीज ऑर्डर के बाद वापस किये गये हैं. लेकिन आलमारी, वाशिंग मशीन, फ्रिज जैसे सामान अब भी थानों के कबाड़ में पड़े हैं.

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