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झारखंड: 17000 शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया आठ साल में भी नहीं हुई पूरी, 2 लाख अभ्यर्थियों ने किया था आवेदन

रिजल्ट जारी होने और झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) द्वारा अनुशंसा प्राप्त होने के बाद जिलास्तर पर नियुक्ति पत्र वितरण शुरू हुआ. वर्ष 2019 तक 8,765 शिक्षकों की नियुक्ति हुई

सुनील कुमार झा, रांची :

झारखंड के हाइस्कूलों में शिक्षकों के 17,572 पदों पर पिछले आठ साल से नियुक्ति प्रक्रिया चल रही है. लेकिन, ये नियुक्तियां कब पूरी होंगी, पता नहीं है. एक साथ आवेदन करने और परीक्षा देनेवाले अभ्यर्थियों में कुछ पांच साल से नौकरी कर रहे हैं, जबकि कुछ का रिजल्ट अब तक जारी नहीं किया जा सका है. उल्लेखनीय है कि वर्ष 2016 में राज्य सरकार ने 17,572 शिक्षकों की नियुक्ति के लिए आवेदन आमंत्रित किया था. इसके लिए करीब दो लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन जमा किया.

नियुक्ति के लिए वर्ष 2017 में परीक्षा ली गयी. रिजल्ट जारी करने की प्रक्रिया वर्ष 2018 में शुरू हु़ई, जो अब तक चल रही है. रिजल्ट जारी होने और झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) द्वारा अनुशंसा प्राप्त होने के बाद जिलास्तर पर नियुक्ति पत्र वितरण शुरू हुआ. वर्ष 2019 तक 8,765 शिक्षकों की नियुक्ति हुई. इसके बाद न्यायिक प्रकिया के कारण नियुक्ति प्रक्रिया रुक गयी. वर्ष 2019 के बाद वर्ष 2022 तक नियुक्ति पत्र का वितरण नहीं हो सका. वर्ष 2022 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नियुक्ति प्रकिया शुरू हुई. इसके बाद इस वर्ष मई में 3,469 और अक्तूबर में 827 शिक्षकों को नियुक्ति पत्र दिया गया. शेष रिक्त रह गये पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया चल रही है.

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नियुक्ति के पांच साल बाद जारी हो रहा कट ऑफ

शिक्षक नियुक्ति का रिजल्ट तो जारी किया गया, लेकिन कट ऑफ जारी नहीं किया गया. परीक्षा में शामिल अभ्यर्थियों की नियुक्ति के बाद सेवा अनुमोदन भी हो गया, लेकिन अब तक सभी विषयों का कट ऑफ जारी नहीं किया गया. वर्ष 2018-19 में जिन अभ्यर्थियों की नियुक्ति के लिए रिजल्ट जारी किया गया, उनका कट ऑफ अब जाकर जारी किया जा रहा है. इस कारण अब कुछ ऐसे अभ्यर्थी भी सामने आ रहे हैंं, जो यह दावा कर रहे हैं, उन्हें जारी कट ऑफ से अधिक अंक मिले हैं.

रिजल्ट जारी हुआ, पास हुए, पर पता नहीं चला

नियुक्ति की प्रक्रिया इतनी लंबी चलने के कारण कई ऐसे अभ्यर्थी भी सामने आ रहे हैं, जिन्हें समय पर रिजल्ट जारी होने की जानकारी नहीं मिली. इस कारण वे काउंसेलिंग में शामिल नहीं हो सके व नियुक्ति से वंचित रह गये. इसके अलावा ऐसे अभ्यर्थी भी सामने आ रहे हैं, जिनके पास अब परीक्षा में शामिल होने का कोई प्रमाण नहीं है. रोल नंबर की जानकारी नहीं होने के कारण वे अपना रिजल्ट भी नहीं जान सके.

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