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Jharkhand News : झारखंड में हुए नक्शे घोटाले मामले में अब सीबीआइ करेगी जांच, राज्य के ये 20 इमारत हैं रडार पर

सीबीआइ ने नक्शा घोटाले की जांच के लिए नामकुम की 20 बहुमंजिली इमारतों को शामिल कर लिया है. इनमें से ज्यादातर इमारतें नामकुम (खिजरी) के अमेठियानगर की हैं . इनका निर्माण वर्ष 2004 से 2011 के बीच हुआ है. चूंकि ये इमारतें रांची क्षेत्रीय विकास प्राधिकार (आरआरडीए) के दायरे में आती हैं, इसलिए नियमानुसार इनका नक्शा भी आरआरडीए से ही पास कराया जाना चाहिए था.

jharkhand news, ranchi news, map scam case cbi investigation latest update रांची : सीबीआइ ने नक्शा घोटाले की जांच के लिए नामकुम की 20 बहुमंजिली इमारतों को शामिल कर लिया है. इनमें से ज्यादातर इमारतें नामकुम (खिजरी) के अमेठियानगर की हैं . इनका निर्माण वर्ष 2004 से 2011 के बीच हुआ है. चूंकि ये इमारतें रांची क्षेत्रीय विकास प्राधिकार (आरआरडीए) के दायरे में आती हैं, इसलिए नियमानुसार इनका नक्शा भी आरआरडीए से ही पास कराया जाना चाहिए था.

जांच में सीबीआइ ने पाया कि आरआरडीए ने इनमें से कई इमारतों का नक्शा रद्द कर दिया था, लेकिन नामकुम के बीडीओ और सीओ ने नियम के विरुद्ध जाकर नक्शा पास कर दिया. वहीं, कई इमारतों का नक्शा आरआरडीए के पास पहुंचा ही नहीं और भवन बन गये.

इस मामले में सीबीआइ ने आरआरडीए से यह जानना चाहा कि क्या उसके क्षेत्राधिकार में किसी दूसरे अधिकारी को भी नक्शा पास करने का अधिकार है? इन इलाकों में अवैध निर्माण पर नजर रखने की जिम्मेदारी किसी पदाधिकारी की थी या नहीं?

इन सवालों के जवाब में आरआरडीए ने सीबीआइ को बताया है कि उसके क्षेत्राधिकार में नक्शा पास करने के लिए सिर्फ वही सक्षम है. दरअसल, वर्ष 2004-2011 की अवधि में नामकुम, आरआरडीए के क्षेत्राधिकार में आता था.

इंडस्ट्रियल एरिया व ग्रीन लैंड’ होने के कारण नहीं मिली थी अनुमति

बीडीओ और सीओ ने जिन बहुमंजिली इमारतों का नक्शा पास किया है, उनमें से नौ का नक्शा पास करने के लिए पहले आरआरडीए में आवेदन दिया गया था. लेकिन, मास्टर प्लान में संबंधित क्षेत्र में‘इंडस्ट्रियल एरिया व ग्रीन लैंड’ होने के कारण संबंधित आवेदन रद्द कर दिये गये थे. इनमें ब्रह्मपुत्रा, साईं अपार्टमेंट, गुलमोहर, गणेश अपार्टमेंट, उज्जैन एन्क्लेव, सोनी विला, दृष्टि एन्क्लेव, नारायण टावर और अमृता वाटिका के नाम शामिल हैं. शेष 11 इमारतों का नक्शा पास करने के लिए आरआरडीए में आवेदन नहीं दिया गया था.

वर्ष 2011 में हाइकोर्ट ने सीबीआइ जांच का आदेश दिया था :

हरिनारायण लाखोटिया की याचिका की सुनवाई के बाद हाइकोर्ट ने वर्ष 2011 में सीबीआइ को आरआरडीए में हुए नक्शा घोटाले की जांच का आदेश दिया था. लाखोटिया ने अपनी याचिका में आरआरडीए द्वारा स्वीकृत नक्शे में बिल्डर द्वारा बदलाव कर पार्किंग की जगह पर दुकान बनाने का आरोप लगाया था. मामले की सुनवाई के दौरान आरआरडीए ने 10 साल की अवधि में 1547 बहुमंजिली इमारतों का नक्शा पास करने और नक्शा में अनुरूप निर्माण नहीं करने के 1000 से ज्यादा मामलों का उल्लेख किया था.

लंबी है जांच की सूची :

हाइकोर्ट ने इस मामले में सीबीआइ जांच का आदेश दिया था. सीबीआइ ने प्राथमिकी दर्ज करने के प्रारंभिक चरण में कुछ भवनों की जांच की और आरोप पत्र दायर किया. इसमें आरआरडीए के तत्कालीन अधिकारी न्यायिक प्रक्रिया का सामना कर रहे हैं. आरोप पत्र दायर करने के बाद सीबीआइ ने भवनों की लंबी सूची को देखते हुए आगे जांच करने में असमर्थता जतायी थी. साथ ही किसी दूसरी एजेंसी से जांच कराने का अनुरोध किया था. हालांकि, हाइकोर्ट ने सीबीआइ के इस अनुरोध को अस्वीकार कर दिया था. इसलिए सीबीआइ ने नक्शा घोटाले की जांच जारी रखी. झारखंड में नक्शे घोटाले मामले में सीबीआइ द्वारा जांच करने तथा News in Hindi से अपडेट के लिए बने रहें हमारे साथ.

Posted By : Sameer Oraon

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