Jharkhand High Court: रांची-झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस अंबुज नाथ की अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों के खिलाफ दर्ज एससी-एसटी केस को चुनौती देनेवाली क्रिमिनल क्वैशिंग याचिका पर सुनवाई की. इस दौरान पक्ष सुनने के बाद अदालत ने ईडी के अधिकारियों के खिलाफ किसी प्रकार की पीड़क कार्रवाई करने पर पूर्व में लगायी गयी रोक (अंतरिम आदेश) को बरकरार रखा. इसके साथ ही मामले में राज्य सरकार को जवाब दायर करने के लिए समय दिया. मामले की अगली सुनवाई के लिए अदालत ने चार सप्ताह के बाद की तिथि निर्धारित करने को कहा. इससे पूर्व राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन ने पैरवी की, वहीं ईडी की ओर से अधिवक्ता एके दास और अधिवक्ता सौरभ कुमार ने पैरवी की.
प्राथमिकी को निरस्त करने का किया गया है आग्रह
प्रार्थी ईडी के अपर निदेशक कपिल राज और अन्य की ओर से क्रिमिनल क्वैशिंग याचिका दायर कर एससी-एसटी थाना में दर्ज प्राथमिकी को चुनौती दी गयी है. प्रार्थियों ने प्राथमिकी को निरस्त करने का आग्रह किया है. तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा 31 जनवरी 2024 को ईडी की पूछताछ के दौरान एससी-एसटी एक्ट के तहत प्राथमिकी (06/2024) दर्ज करायी गयी थी. इसमें ईडी के अपर निदेशक कपिल राज, सहायक निदेशक देवव्रत झा, अनुपम कुमार, अमन पटेल व अन्य को आरोपी बनाया गया है.
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तलाशी अभियान चलाकर प्रतिष्ठा धूमिल करने का आरोप
प्राथमिकी में आरोप लगाया गया था कि दिल्ली स्थित उनके आवास पर ईडी ने तलाशी ली थी. तलाशी अभियान उन्हें और उनके समुदाय को बदनाम करने के इरादे से चलाया गया. अधिकारियों ने मीडिया में इसकी जानकारी लीक की, ताकि जनता के बीच उनकी प्रतष्ठिा धूमिल हो जाए.
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