-वर्ष 2012 में नियुक्त कंपनी कमांडरों को बड़ी राहत रांची . झारखंड हाइकोर्ट ने राज्य सरकार की ओर से वर्ष 2017 में जारी की गयी होमगार्ड के कंपनी कमांडरों की वरीयता सूची को रद्द कर दिया है. न्यायमूर्ति दीपक रोशन की एकलपीठ ने स्पष्ट किया कि वर्ष 2012 और वर्ष 2014 में नियुक्त अधिकारियों की वरीयता का निर्धारण वर्ष 2015 की सेवा नियमावली के आधार पर नहीं किया जा सकता. विभाग द्वारा प्रशिक्षण के अंकों को जोड़कर वरीयता सूची बनायी गयी थी. इसके कारण वर्ष 2012 में नियुक्त अधिकारी कनिष्ठ और 2014 में नियुक्त अधिकारी वरिष्ठ माने गये. इस पर अनंत कुमार सिंह, राजेश कुमार, धीरज कुमार झा, राजेश्वर गंझू और बैजनाथ भगत ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था. याचिकाकर्ताओं का कहना था कि वर्ष 2008 के विज्ञापन और नियुक्ति पत्र में कहीं भी प्रशिक्षण अंकों को वरिष्ठता से जोड़ने का प्रावधान नहीं था. वहीं राज्य सरकार ने अपने पक्ष में झारखंड होमगार्ड (गैर-राजपत्रित) सेवा नियमावली, 2015 की धारा-18 और पुलिस आदेश संख्या 102/1982 का हवाला दिया. लेकिन अदालत ने सरकार के तर्क को खारिज करते हुए कहा कि वर्ष 2015 के नियम प्रोसपेक्टिव हैं और उन्हें वर्ष 2012 में नियुक्त कर्मियों पर लागू नहीं किया जा सकता. अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का उल्लेख करते हुए कहा कि वरिष्ठता तय करने का आधार केवल चयन मेरिट लिस्ट और सेवा अवधि हो सकता है. अदालत ने विभाग की ओर से पूर्व जारी विवादित आदेश को रद्द करते हुए सरकार को निर्देश दिया कि नयी वरीयता सूची तैयार की जाये. यह सूची मेरिट लिस्ट की रैंकिंग और सेवा की अवधि को आधार बनाकर बनायी जानी चाहिए. इससे पूर्व सुनवाई के दौरान प्रार्थियों की ओर से अधिवक्ता इंद्रजीत सिन्हा व अधिवक्ता अमृतांश वत्स ने पैरवी की थी. 30 जून 2025 को सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. इस फैसले से वर्ष 2012 में चयनित कंपनी कमांडरों को बड़ी राहत मिली है. उल्लेखनीय है कि विभाग द्वारा वर्ष 2015 में बनाये गये नियम के तहत 24 जनवरी 2024 को 27 कंपनी कमांडर की प्रोन्नति इंस्पेक्टर रैंक में हुई थी. ऐसे में कोर्ट के आदेश का असर इन पर भी पड़ सकता है. यानी उन्हें फिर से उक्त इंस्पेक्टरों को डिमोट कर कंपनी कमांडर बनाया जा सकता है.
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