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टीवी नरेंद्रन
Jharkhand Foundation Day: झारखंड जब अपने राज्य गठन के 25 वर्ष पूरे कर रहा है. यह समय अपने सफर पर गौर करने और आनेवाले कल की नयी राह तय करने का है. राज्य ने बीते वर्षों में अपनी जनता के लिए मजबूत आवाज पायी है. आधारभूत संरचना को बेहतर बनाया है और एक नयी पहचान का निर्माण किया है. जनजातीय समुदायों के लंबे और प्रेरणादायी संघर्ष से जन्मा झारखंड आज विकास, अवसर और अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के सम्मान की नयी कहानी लिख रहा है.
पिछले ढाई दशकों में झारखंड ने विकास की दिशा में सार्थक प्रगति की है. राज्य का सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) वर्ष 2013-14 के 1.65 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2023-24 में लगभग 2.78 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. प्रति व्यक्ति आय भी 50,000 रुपये से दोगुनी होकर एक लाख रुपये हो चुकी है. गरीबी में उल्लेखनीय कमी आयी है, साक्षरता दर में वृद्धि हुई है और औद्योगिक क्षेत्र में विस्तार हुआ है. फिर भी, झारखंड को प्रति व्यक्ति आय के राष्ट्रीय औसत तक पहुंचने के लिए और तेज गति से आगे बढ़ना होगा. विजन 2040 की दिशा में आगे बढ़ते हुए अब हमारे सामने स्पष्ट लक्ष्य हैं.
झारखंड की संभावनाओं को जन-जन की समृद्धि में बदलना होगा
झारखंड भारत के उन चुनिंदा राज्यों में है, जो अपार भूमिगत संपदाओं से समृद्ध है. यहां प्रचुर मात्रा में कोयला, लौह अयस्क, बॉक्साइट, चूना पत्थर और अभ्रक जैसे खनिज मौजूद हैं, जिन्होंने एक सदी से अधिक समय तक देश के औद्योगिक विकास को ऊर्जा दी है. अब अगले अध्याय की शुरुआत का समय है. जहां झारखंड भूमि के ऊपर भी उतना ही समृद्ध बने और यह समृद्धि आयेगी कुशल मानव संसाधन, सशक्त उद्यमिता और सतत आजीविका के माध्यम से.
Jharkhand Foundation Day: टीवी नरेंद्रन के विजन 2040 की खास बातें
- स्टील, सीमेंट और बैटरी सामग्री जैसे क्षेत्रों में पूर्वी भारत का प्रसंस्करण और नवाचार केंद्र बन सकता है झारखंड
- उन्नत विनिर्माण, ग्रीन स्टील और प्रौद्योगिकी आधारित क्षेत्रों में हो सकती है तरक्की
- आइटी, फिनटेक और लॉजिस्टिक्स जैसे नये क्षेत्रों का उदय संभव होगा
- घने जंगल, मनोहारी झरने और जनजातीय विरासत में इको-टूरिज्म की संभावना
- मानव पूंजी को सशक्त करने के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा और कौशल विकास को मिले महत्व
- कच्चा माल आपूर्ति करनेवाले राज्य के बदले उन्नत विनिर्माण का केंद्र बनना होगा
अपनी वास्तविक क्षमता को उजागर करने के लिए झारखंड को अब खनिज उत्खनन से मूल्यवर्द्धन की दिशा में तेजी से आगे बढ़ना होगा. इसे केवल कच्चा माल आपूर्ति करनेवाले राज्य से आगे बढ़कर उन्नत विनिर्माण का केंद्र बनना होगा. झारखंड में स्टील, सीमेंट और बैटरी सामग्री जैसे क्षेत्रों में पूर्वी भारत का प्रसंस्करण और नवाचार केंद्र बनने की क्षमता है. इसे साकार करने के लिए तेज अनुमोदन प्रक्रिया, भरोसेमंद विद्युत आपूर्ति, कुशल लॉजिस्टिक्स व्यवस्था और स्थानीय विनिर्माण को प्रोत्साहित करनेवाली स्पष्ट नीतिगत पहल की आवश्यकता होगी. इस पूरी यात्रा के केंद्र में जिम्मेदार खनन और पर्यावरणीय संरक्षण होना अनिवार्य है. यदि झारखंड विकास और सततता के बीच इस संतुलन को साधने में सफल होता है, तो यह भारत के सभी संसाधन-आधारित अर्थतंत्रों के लिए एक आदर्श उदाहरण बन जायेगा.
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यहां विकसित वैल्यू चैन का हो पूरा उपयोग
झारखंड के पास एक और अनोखा अवसर है. यह देश के उन चुनिंदा राज्यों में से है, जहां पूरी वैल्यू चेन मौजूद है. यह वैल्यू चेन लौह अयस्क और कोयला खनन से लेकर इस्पात निर्माण और ऑटोमोबाइल उत्पादन तक फैली हुई है. यहां के लोगों में पीढ़ियों से विकसित हुई मजबूत कार्यसंस्कृति और औद्योगिक दक्षता झलकती है. राज्य के इंजीनियरिंग और ऑटो कंपोनेंट उद्योग आज वैश्विक बाज़ारों तक अपनी पहचान बना चुके हैं. यदि झारखंड को एक सक्षम औद्योगिक माहौल और दूरदर्शी नीतिगत समर्थन मिले, तो यह राज्य उन्नत विनिर्माण, ग्रीन स्टील और प्रौद्योगिकी-आधारित क्षेत्रों में नयी ऊंचाइयां हासिल कर सकता है.
व्यावसायिक माहौल में निरंतर सुधार जरूरी
इस विकास की लहर को कायम रखने के लिए व्यावसायिक माहौल में निरंतर सुधार आवश्यक है. इसके लिए भूमि आवंटन को सरल बनाना, सिंगल-विंडो सिस्टम के माध्यम से अनुमोदन प्रक्रियाओं को डिजिटल करना, स्पष्ट समय सीमा सुनिश्चित करना, किफायती व भरोसेमंद बिजली उपलब्ध कराना और व्यवसाय सुगमता बढ़ाने जैसे प्रमुख कदम उठाने होंगे. झारखंड में पहले से ही दो घरेलू हवाई अड्डे हैं और चल रही राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाएं कनेक्टिविटी को और मजबूत करेंगी. धालभूमगढ़ हवाई अड्डे के विकास से नयी संभावनाओं के मार्ग खुलेंगे. इन बुनियादी सुविधाओं और विकास कार्यों के माध्यम से आइटी, फिनटेक और लॉजिस्टिक्स जैसे नये क्षेत्रों का उदय संभव होगा, जो राज्य के औद्योगिक आधार को और मजबूत करेंगे. ये झारखंड को बहुआयामी औद्योगिक केंद्र के रूप में स्थापित करने में मदद करेंगे.
इको-टूरिज्म और सांस्कृतिक पर्यटन में हैं मौके
झारखंड के विकास की कहानी केवल औद्योगिक प्रगति तक सीमित नहीं रह सकती हैं. इसके घने जंगल, मनोहारी झरने और समृद्ध जनजातीय विरासत में इको-टूरिज्म और सांस्कृतिक पर्यटन के अपार अवसर छिपे हैं. नेतरहाट और पतरातू की खूबसूरत घाटियों से लेकर दशम व हुंडरू जलप्रपात, बेतला नेशनल पार्क के हरे-भरे जंगल और राज्य की प्राकृतिक संपदा आजीविकाओं और रोजगार के नये अवसर पैदा कर सकते हैं. लघु वन उत्पाद जैसे लाह, शहद, इमली व औषधीय जड़ी-बूटियों को बढ़ावा देने से ग्रामीण समुदायों की आजीविका सशक्त होगी और उनकी प्राचीन पारंपरिक ज्ञान प्रणाली सुरक्षित रहेगी. ये सूक्ष्म उद्यम, जो स्थानीय समुदायों की बुद्धिमत्ता और अनुभव पर आधारित हैं, झारखंड में सतत विकास और आत्मनिर्भरता की भावना को दर्शाते हैं.
भारत सरकार की पूर्वोदय पहल से होगा बदलाव
भारत सरकार की पूर्वोदय पहल झारखंड और पूरे पूर्वी भारत के लिए परिवर्तन की दिशा में एक महत्वपूर्ण अवसर प्रस्तुत करती है. पूर्वोदय पहल केवल इस्पात संयंत्रों और बुनियादी अवसंरचना तक सीमित नहीं है, बल्कि यह शिक्षा, कौशल विकास और उद्यमशीलता के माध्यम से पूर्वी भारत में नयी औद्योगिक और आकर्षक गति बनाने का अभियान है. हाल के वर्षों में, राज्य सरकार ने निवेशकों का विश्वास बढ़ाने और उद्योगों को स्पष्ट दिशा देने के लिए कई अहम कदम उठाये हैं. इंडस्ट्रियल पॉलिसी लैब की स्थापना, एमएसएमइ निदेशालय का गठन और भूमि आवंटन नीतियों के आधुनिकीकरण जैसे प्रयास राज्य की दूरदर्शिता व विकास की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं.
राज्य की नीतियों को प्रभावशाली तरीके से करें लागू
अगली बड़ी चुनौती यह है कि राज्य की नीतियों और पहल को सभी जिलों में लगातार पारदर्शी और प्रभावी ढंग से लागू किया जाये. टाटा स्टील ने राज्य सरकार के साथ बुनियादी अवसंरचना, कौशल विकास और सामुदायिक पहल में सहयोग कर महत्वपूर्ण लाभ हासिल किये हैं. यह साझेदारी स्पष्ट रूप से दिखाती है कि किस तरह उद्योग और नीति साथ मिलकर समावेशी और सतत विकास को गति दे सकते हैं.
टाटा स्टील के लिए झारखंड सिर्फ कारोबार का केंद्र नहीं है. यह हमारा घर, हमारी पहचान है. यही वह भूमि है, जहां हमारी यात्रा एक सदी से अधिक पहले शुरू हुई, जहां जमशेदजी टाटा का दूरदर्शी दृष्टिकोण आकार ले रहा था और जहां कई पीढ़ियों ने केवल एक उद्योग ही नहीं, बल्कि एक जीवंत व सशक्त समुदाय का निर्माण किया. हमने मिलकर चुनौतियों का सामना किया, उपलब्धियों का जश्न मनाया और ऐसे संस्थान बनाये, जो आज भी समाज की सेवा कर रहे हैं. जमशेदपुर का निर्माण करना, जिम्मेदार खनन में मानक स्थापित करना, शिक्षा, स्वास्थ्य व कौशल विकास को सशक्त बनाना जैसी हमारी उपलब्धि है. हमारी यह कहानी झारखंड की कहानी के साथ गहराई से जुड़ी हुई है.
हर क्षेत्र में टाटा समूह की उपस्थिति
आज, टाटा समूह की उपस्थिति राज्य के हर क्षेत्र में है. टाटा कैंसर अस्पताल और ताज होटल्स से लेकर टाटा पावर के नवीकरणीय ऊर्जा प्रोजेक्ट्स और टीसीएस के डिजिटल कार्यक्रमों तक, यह सब झारखंड के लोगों व उनके विकास के प्रति हमारी दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाता है. इन पहलों के माध्यम से हम लाखों लोगों के जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित और बेहतर बनाने का काम निरंतर जारी रखे हुए हैं और राज्य के समग्र विकास में सक्रिय रूप से योगदान दे रहे हैं.
आनेवाले 15 वर्षों में आदर्श राज्य बन सकता है झारखंड
आने वाले 15 वर्षों में झारखंड संतुलित और जिम्मेदार औद्योगिक विकास का आदर्श राज्य बन सकता है, यदि यह विस्तार, समावेशिता और प्रभावी क्रियान्वयन को अपनी प्राथमिकता बनाये. मानव पूंजी को सशक्त करने के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा और कौशल विकास को सर्वोच्च महत्व देना आवश्यक है. इएसजी (पर्यावरण, सामाजिक और अभिशासन) मानकों को अपनाना और आधुनिक बुनियादी अवसंरचना विकसित करना नये युग के व्यवसायों को आकर्षित करेगा, रोजगार के अवसर बढ़ायेगा और लोगों को अन्य राज्यों में पलायन करने की आवश्यकता कम करेगा. अवसर और मानव गरिमा के बीच यह संतुलन झारखंड के भविष्य की दिशा तय करेगा.
विजन 2040 की दिशा में कदम बढ़ाने का आदर्श समय
टाटा स्टील इस यात्रा के प्रति हमेशा दृढ़ और प्रतिबद्ध रही है. हमने पीढ़ियों से यह देखा है कि जब उद्योग दायित्व, जिम्मेदारी व दूरदर्शिता के साथ आगे बढ़ता है, तो यह न केवल लोगों और समुदायों के जीवन को संवारता है, बल्कि पूरे क्षेत्र के विकास को दिशा व भविष्य की संभावनाओं को भी आकार देता है. जब झारखंड अपने राज्य गठन के 25 वर्ष पूरे कर रहा है, तो यह समय विजन 2040 की दिशा में कदम बढ़ाने का एक आदर्श अवसर है. एक ऐसा विजन, जहां उद्योग और समुदाय साथ-साथ प्रगति करें. जहां भूमिगत संसाधनों ने झारखंड की मजबूत नींव तैयार की, वहीं सतत व समावेशी विकास इसके भविष्य और समृद्धि का आधार बनेगा. (लेखक टाटा स्टील के सीइओ और एमडी हैं.)
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