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झारखंड चेंबर ने सभी स्थानीय विधायकों का किया घेराव, कृषि विधेयक की खामियों लेकर आज भेजा जाएगा पोस्टकार्ड

जिला चेंबर के नेतृत्व में रविवार को शिकारीपाड़ा के विधायक नलिन सोरेन, देवघर विधायक श्रीनारायण दास, पोड़ैयाहाट विधायक प्रदीप यादव, चाईबासा विधायक दीपक बिरूआ सहित अन्य विधायकों से मिल कर भी वार्ता की गयी.

झारखंड में कृषि शुल्क विधेयक के विरोध में रविवार को झारखंड चेंबर के नेतृत्व में सभी जिलों के स्थानीय विधायकों का व्यापारियों ने घेराव किया. साथ ही इस विधेयक को समाप्त करने के पक्ष में अपना समर्थन देने का आग्रह किया. रांची में झारखंड चेंबर ने विधायक सीपी सिंह से मिल कर उन्हें कानून की अव्यवहारिकताओं से अवगत कराया. श्री सिंह ने कहा कि व्यापारियों का विरोध जायज है. इस पर विधानसभा के आगामी विस सत्र में चर्चा करूंगा.

वहीं, जिला चेंबर के नेतृत्व में रविवार को शिकारीपाड़ा के विधायक नलिन सोरेन, देवघर विधायक श्रीनारायण दास, पोड़ैयाहाट विधायक प्रदीप यादव, चाईबासा विधायक दीपक बिरूआ सहित अन्य विधायकों से मिल कर भी वार्ता की गयी. चेंबर अध्यक्ष किशोर मंत्री ने कहा कि इस विधेयक के प्रभावी होने से इंस्पेक्टर राज को प्रोत्साहन मिलने की संभावना है. एक व्यापारी से पहले हम भी उपभोक्ता हैं. उपभोक्ताओं को महंगाई से बचाने के लिए यह निर्णय लेना हमारी विवशता है.

आज भेजा जायेगा पोस्टकार्ड :

इधर, आलू प्याज थोक विक्रेता संघ और हरमू फल विक्रेता संघ के सदस्यों के साथ बैठक रविवार को हुई. इसमें डेली मार्केट, हरमू फल मंडी, चुटिया फल मंडी के सदस्यों ने एकजुट होकर झारखंड चेंबर की बंदी को 15 फरवरी से समर्थन देने की बात कही.

वहीं, सोमवार को इस विधेयक की खामियों से राज्य के सभी जिलों से व्यापारी कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी और राहुल गांधी को पोस्टकार्ड भेंजेंगे. मौके पर चेंबर अध्यक्ष किशोर मंत्री, रोहित पोद्दार, रांची चेंबर पंडरा के अध्यक्ष संजय माहुरी, अनिल शर्मा, दीपक पोद्दार, आलू प्याज थोक विक्रेता संघ के अध्यक्ष मदन साहू, रोहित कुमार आदि मौजूद थे.

झारखंड में कृषि शुल्क विधेयक लागू होने से अनियमितता बढ़ेगी

झारखंड कंज्यूमर प्रोडक्ट डिस्ट्रीब्यूटर्स एसोसिएशन (जेसीपीडीए) ने कृषि मंत्री के निर्णय का विरोध किया है. साथ ही झारखंड चेंबर द्वारा जारी राज्यव्यापी आंदोलन में अपना समर्थन देने की बात कही है. जेसीपीडीए के अध्यक्ष संजय अखौरी ने कहा कि किसी भी कानून को प्रभावी करने से पहले विभाग द्वारा विधेयक को सार्वजनिक कर लोगों से आपत्ति या सुझाव लिया जाता है.

आखिर क्या कारण है कि कृषि विधेयक पर बिना लोगों की राय जाने पिछले दरवाजे से इसे लाने की कोशिश की जा रही है. इस शुल्क के प्रभावी होने से मुख्यतः चाय, काॅफी सहित अन्य उत्पाद भी दायरे में आयेंगे. इससे डिस्ट्रीब्यूटरशिप व्यापार भी प्रभावित होगा.

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