रांची. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने हमें करम पर्व जैसे महत्वपूर्ण सामूहिक उल्लास के अवसरों को आगे बढ़ाने का दायित्व सौंपा है. हमारी पीढ़ी के साथ-साथ आने वाली पीढ़ी भी इस समृद्ध परंपरा को श्रद्धा और सद्भाव के साथ आगे बढ़ाती रहे. आने वाले समय में यह संस्कृति और ज्यादा मजबूती से आगे बढ़े, यह हम सभी की जिम्मेदारी है. बड़े पैमाने पर अपनी सभ्यता और संस्कृति को मजबूती प्रदान करें. मुख्यमंत्री करम पूजा समिति के तत्वावधान में महिला कॉलेज साइंस ब्लॉक परिसर में आयोजित करम पूजा महोत्सव में बोल रहे थे. मुख्यमंत्री ने कहा कि हम सब इस धरती की परंपराओं और संस्कृति से बंधे हुए हैं. हर साल की तरह इस बार भी बहनों ने बारिश के मौसम में एकत्र होकर इस परंपरा को उल्लास के साथ निभाया है, जो प्रकृति से हमारे साहचर्य का उदाहरण है. मौसम चाहे बारिश हो, तूफान या गर्मी- हर हाल में बहनों ने करम महोत्सव को संपन्न कराया है. करम पर्व हमारी संस्कृति, सभ्यता और जीवनशैली का प्रतीक है. यह पर्व भाई-बहन के अटूट संबंध, सामाजिक समरसता और प्रकृति के प्रति आस्था को दर्शाता है. इस दौरान मुख्यमंत्री ने अखड़ा में स्थापित करम डाली के सामने विधिवत पूजा-अर्चना की. उनके पहुंचने पर युवक-युवतियों ने ढोल, नगाड़ा और मांदर बजाकर स्वागत किया. झारखंड आगे बढ़ता रहे केंद्रीय रक्षा राज्यमंत्री संजय सेठ ने कहा कि कामना है कि झारखंड आगे बढ़ता रहे. कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा कि यह पर्व भाई-बहन के प्रेम, प्रकृति से संबंध और संस्कृति से जुड़ाव को दर्शाता है. इस साल अच्छी बारिश के बाद हर तरफ हरियाली है. ईश्वर से कामना है कि अच्छी फसल राज्य के किसानों के घर खुशहाली और आर्थिक समृद्धि लाये. विधायक कल्पना सोरेन ने कहा कि इस साल बारिश अधिक है. जमीन से लेकर हवाई यात्रा तक हर जगह हरा रंग लहरा रहा है. हरा रंग समृद्धि का प्रतीक है. प्रकृति की पूजा में यह देखना जरूरी है कि हम प्रकृति को क्या दे रहे हैं. इस दौरान पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय शिबू सोरेन के लिए दो मिनट का मौन रखा गया. आकर्षक तरीके से सजा था अखड़ा अखड़ा को रजनीगंधा, गेंदा फूल, पत्तियां और बैलून से सजाया गया था. रंग-बिरंगी लाइटिंग आकर्षण का केंद्र बनी रही. सरना झंडे लगे थे. करम की डाल को श्रद्धाभाव से पूजा स्थल पर स्थापित किया गया. डॉ रवींद्र भगत ने करम कथा सुनायी. कानों में फूल खोंसे गये. करम के मधुर गीत-संगीत, ढोल-मांदर की ताल और नगाड़े की आवाज से अखड़ा गुंजायमान हो उठा. मौके पर पूर्व विधायक गंगोत्री कुजूर, पूजा समिति के अध्यक्ष प्रवीण उरांव, डॉ दिवाकर मिंज, डॉ नारायण भगत, डॉ रामकिशोर भगत, प्रोफेसर चौठी उरांव, प्रोफेसर महामनी उरांव, छात्र प्रमुख बिरसा उरांव आदि उपस्थित थे.
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