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Friday, March 29, 2024

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कैसे मिलेगी झारखंड में इलेक्ट्रिक वाहन नीति 2021 को मंजूरी? ये हैं चुनौतियां…

वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण सड़कों पर दौड़ने वाली गाड़ियां हैं जो कार्बन डायआक्साइड का उत्सर्जन करती हैं. यही वजह है कि सरकारें इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना चाह रही हैं. इसी क्रम में केंद्र सरकार ने 2015 में फेम इंडिया योजना का शुभारंभ किया था

झारखंड एक ऐसा राज्य है जो अपनी प्राकृतिक संपदा और खूबसूरती के लिए जाना जाता है, लेकिन गर्म होती धरती ने इस राज्य को भी अपने चपेट में ले लिया है, जिसकी वजह से राज्य के पांच जिले जिनमें रांची, जमशेदपुर, धनबाद, सिंदरी और सराईकेला खरसावां शामिल है में वायु प्रदूषण की समस्या उभरकर सामने आयी है. हालांकि अभी भी सिर्फ धनबाद ही ऐसा जिला है जिसे क्लीन एयर प्रोग्राम के तहत शामिल किया गया है.

वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण सड़कों पर दौड़ने वाली गाड़ियां हैं जो कार्बन डायआक्साइड का उत्सर्जन करती हैं. यही वजह है कि सरकारें इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना चाह रही हैं. इसी क्रम में केंद्र सरकार ने 2015 में फेम इंडिया योजना का शुभारंभ किया था, जिसका उद्देश्य इलेक्ट्रिक वाहनों और पर्यावरण के अनुकूल वाहनों का उत्पादन और उसका संवर्धन करना है. फेम इंडिया योजना 2 की शुरुआत 2019 में की गयी थी और यह 2022 तक चलेगा.

हेमंत सोरेन ने बड़ी कंपनियों को दिया न्यौता

इस योजना की शुरुआत हुए छह वर्ष से अधिक का समय हो गया है, लेकिन झारखंड सरकार ने अभी तक इस योजना पर काम करने की दिशा में कोई ठोस प्रयास नहीं किया है. अगस्त महीने में प्रदेश के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने टाटा समूह, हुंडई मोटर्स, होंडा, मारुति सुजुकी और अन्य वाहन बनाने वाली बड़ी कंपनियों के साथ मुलाकात की और उनसे झारखंड इलेक्ट्रिक वाहन नीति 2021 के मसौदे पर बातचीत की. साथ इस बातचीत में उन्हें निवेश करने और यहां उपलब्ध अवसरों की जानकारी देना भी शामिल था.

ये हैं चुनौतियां

देश में अबतक 13 राज्यों ने इलेक्ट्रिक वाहन नीति को मंजूरी दी है, लेकिन झारखंड में अभी इसका मसौदा ही तैयार हो रहा है. तथ्य यह है कि अगर झारखंड में इलेक्ट्रिक वाहन नीति को मंजूरी मिल भी जाती है तो अभी जो स्थिति है उसमें इलेक्ट्रिक वाहनों को चलाना चुनौतीपूर्ण ही होगा. कारण यह है कि वाहनों के लिए बेसिक प्लेटफॉर्म और अवसंरचना की भारी कमी है. साथ ही अभी तक चार्जिंग स्टेशनों की कोई व्यवस्था प्रदेश में नजर नहीं आती है. सबसे बड़ी चुनौती जो इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर नजर आती है वह है इसकी स्वीकार्यता. आम लोग इसे स्वीकार नहीं करना चाहते, क्योंकि इस वाहन की स्पीड बहुत कम है और इसका बैटरी बैकअप कम है. हाल ही में ओला कंपनी ने एक दो पहिया स्कूटर लाॅन्च किया है, जो आम लोगों की जरूरत के हिसाब से फिट बैठ सकता है.

क्या है इलेक्ट्रिक वाहन नीति

इलेक्ट्रिक वाहन नीति के तहत प्रदूषण मुक्त वाहनों की बिक्री को बढ़ावा देना है. साथ ही इसकी बिक्री को बढ़ाने के लिए सब्सिडी देना, चार्जिंग स्टेशन स्थापित करना शामिल है. चार्जिंग स्टेशन लगाने में भी सब्सिडी की व्यवस्था कई राज्यों ने की है. मुख्य रूप से इलेक्ट्रिक वाहनों की श्रेणी में दोपहिया वाहन, कार, तिपहिया गाड़ियां और बस शामिल होते हैं. कोराना काल में अर्थव्यवस्था बेटपरी हुई और मांग में भी कमी आयी, इलेक्ट्रिक वाहन नीति के जरिये मांग में वृद्धि संभव है ताकि अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाया जा सके.

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आईपीसीसी की रिपोर्ट ने दी है चेतावनी

संयुक्त राष्ट्र की इंटर-गवर्नमेंटल पैनल फॉर क्लाइमेट चेंज (IPCC) ने जलवायु परिवर्तन को लेकर जो नयी रिपोर्ट जारी की है वह पूरे मानव समाज को चेतावनी दे रही है कि अब भी समय है, उपाय करें, अन्यथा आपकी यह खूबसूरत धरती और इसपर रहने वाले जीव-जंतु कुछ भी शेष नहीं रहेंगे.

Posted By : Rajneesh Anand

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