रांची, राजीव पांडेय : झारखंड के हाई डायबिटीज पेशेंट को सावधान रहने की जरूरत है. क्योंकि इस तरह के शुगर के मरीजों में डायबिटिक रेटिनोपैथी का खतरा तेजी से बढ़ रहा है. एनएफएचएस-पांच के आंकड़ों के अनुसार, राज्य में हाई शुगर से 4.2 फीसदी महिला और 6.4 फीसदी पुरुष पीड़ित हैं, जिनका शुगर लेवल अनियंत्रित रह रहा है. यानी कुल 10.6 फीसदी लोगों का रेटिना खतरे में है. वहीं 14.1 फीसदी पुरुष और 10.2 फीसदी महिला डायबिटीज से पीड़ित हैं. इन लोगों को डायबिटीज नियंत्रण के लिए दवाएं लेनी पड़ रही है. दवा लेने के बावजूद अगर डायबिटीज अनियंत्रित रहता है, तो इनके रेटिना पर भी खतरा हो सकता है.
अनियंत्रित शुगर की वजह से आंखों की रोशनी हो रही प्रभावित
चिंता इसलिए भी बढ़ गयी है, क्योंकि अनियंत्रित शुगर की वजह से आंखों की रोशनी प्रभावित हो रही है. इन्हीं मरीजों में डायबिटिक रेटिनोपैथी का खतरा सबसे अधिक है. रिम्स के नेत्र विभाग के ओपीडी में प्रतिदिन ऐसे ही 10 से 12 मरीज रेटिना का इलाज करा रहे हैं. इसमें से तीन से चार मरीजों की सर्जरी करनी पड़ रही है. वहीं, जो मरीज समय से इलाज कराने रिम्स के नेत्र विभाग में आ रहे हैं, उनका दवा से इलाज हो रहा है.
आंखों में हो रही है ब्लीडिंग तो करना पड़ रही सर्जरी
वहीं, जिनकी समस्या थोड़ी बढ़ जा रही है और आंखों की रोशनी कम होने लगी है, उनका इलाज लेजर और सूई के माध्यम से किया जा रहा है. हालांकि अनियंत्रित शुगर के वैसे मरीज जिनकी आंखों में ब्लीडिंग हो रही है, उनकी सर्जरी करनी पड़ रही है.
क्या कहते हैं चिकित्सक
डायबिटीज के अनियंत्रित मरीजों की रेटिना खराब होने का खतरा रहता है. नेत्र विभाग में प्रतिदिन 10 से 12 डायबिटिक रेटिनोपैथी से पीड़ित मरीज इलाज के लिए आ रहे हैं. इन्हें आंखों के बचाव के लिए अपने शुगर लेवल को नियंत्रित करना होगा. डायबिटिक रेटिनोपैथी के मरीज बढ़ेंगे, तो इस बीमारी का खतरा भी बढ़ेगा.
डॉ सुनील कुमार, विभागाध्यक्ष, नेत्र विभाग
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