रांची़ धरती का तापमान हर साल नया रिकॉर्ड तोड़ रहा है. कभी पानी की किल्लत, तो कभी गर्मी की मार, कभी बाढ़ जैसी स्थिति. ये सब संकेत हैं कि प्रकृति हमसे नाराज है. वजह साफ है कि हमने पर्यावरण से खिलवाड़ किया है. पेड़ों की अंधाधुंध कटाई, जल संरक्षण की अनदेखी और कंक्रीट के जंगलों ने जमीन की सासें घोंट दी हैं. लेकिन इस अंधकार में कुछ ऐसे लोग भी हैं जो प्रकृति की लौ को जलाये रखे हुए हैं. झारखंड में कुछ पर्यावरण प्रेमी ऐसे हैं, जो अकेले ही हरियाली की जंग लड़ रहे हैं. इनकी पहल समाज के लिए प्रेरणा बन चुकी है.
झारखंड केसरी मनोज दांगी ने पेड़ों को राखी बांधने की शुरुआत की
कोडरमा निवासी मनोज दांगी. राष्ट्रीय झारखंड सेवा संस्थान के सचिव रहते हुए वर्ष 2004 से वन्य जीव और वन संरक्षण की मुहिम में जुटे हुए हैं. इनकी पहल पर रांची, खूंटी, गुमला, दलमा, गिरिडीह जैसे जिलों में हरित पदयात्रा और साइकिल यात्रा हुई हैं. गुमला के 83 गांवों में घूम-घूमकर वन रक्षा कार्यक्रम चलाया. इनके अभियान में पेड़ों को राखी बांधकर संरक्षण की शपथ ली जाती है. हर पर्व में वन रक्षा बंधन मनाया जाता है, जहां महिलाएं पूजा की थाली लेकर वृक्षों की आरती करती हैं. मनोज कहते हैं : प्रकृति हमारी मां है. इसकी रक्षा हर नागरिक की जिम्मेदारी है. बिना वन्य प्राणी के सरंक्षण के यह मूहिम अधूरी है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

