रांची (वरीय संवाददाता). प्रदेश भाजपा ने सरकार की 1000 करोड़ वाली रिम्स-2 परियोजना पर सवाल उठाया है और कहा है कि सरकार की प्राथमिकता जनस्वास्थ्य नहीं, बल्कि हजारों करोड़ की इमारत बनवाकर कमीशनखोरी करना है. यह परियोजना संभावित टेंडर घोटाले की रूपरेखा है. प्रदेश कार्यकाल में पत्रकारों से भाजपा प्रवक्ता अजय साह ने कहा कि जब खरसावां मेडिकल कॉलेज 13 वर्षों से अधूरा पड़ा है. कोडरमा का अस्पताल अधर में है. तब सरकार का ध्यान इन अस्पतालों को पूरा करने के बजाय नयी इमारतों की ओर क्यों है. यह सरकार की मंशा पर बड़ा सवाल खड़ा करता है. इतनी राशि से पांचों प्रमंडल में दो-दो सौ करोड़ या फिर प्रत्येक जिले में 40-40 करोड़ की लागत से आधुनिक अस्पताल खोले जा सकते है. श्री साह ने हेमंत सरकार को मोदी मॉडल अपनाने की सलाह दी. कहा जहां केंद्र सरकार दिल्ली एम्स पर बढ़ते भार को कम करने के लिए देशभर में नये एम्स खोल रही है. ग्रामीण इलाकों में अस्पताल खोलने से वहां की अर्थव्यवस्था बदल जायेगी. स्थानीय लोगो को रोजगार मिलेगा और रांची रिम्स पर भार भी कम होगा. श्री साह ने झारखंड हाइकोर्ट की हालिया टिप्पणी का उल्लेख करते हुए कहा कि रिम्स में डॉक्टरों, प्रोफेसरों, नर्सों और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की भारी कमी है. सरकार स्थायी नियुक्तियों से बचते हुए आउटसोर्सिंग का रास्ता अपना रही है, जो न केवल अव्यवस्था को जन्म देता है, बल्कि संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 की मूल आत्मा का भी उल्लंघन करता है. उन्होंने कहा कि रिम्स में जरूरी उपकरण जैसे एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड और सीटी स्कैन मशीनें लंबे समय से खराब पड़ी हैं. यहां तक कि मरीजों को दी जाने वाली बुनियादी दवा और सिरिंज तक की भारी कमी है. इसके बावजूद सरकार का ध्यान स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने की बजाय केवल नयी-नयी इमारतें बनाने पर केंद्रित है. कैग रिपोर्ट का हवाला देते हुए श्री साह ने कहा कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने अपनी रिपोर्ट में राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खोलकर रख दी है, लेकिन सरकार ने उस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की.
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