रांची. पर्वराज पर्युषण के आठवें दिन गुरुवार को उत्तम त्याग धर्म की पूजा हुई. पंडित अंकित जैन शास्त्री ने अपने प्रवचन में कहा कि उत्तम त्याग वह है जो नि:स्वार्थ भाव से किया जाए, जिसमें किसी प्रकार की प्रशंसा, लाभ या प्रत्युत्तर की अपेक्षा न हो. उन्होंने कहा कि जब व्यक्ति अपने स्वार्थ, सुख-सुविधा या अधिकार को दूसरों के कल्याण के लिए छोड़ देता है, वही त्याग वास्तव में उत्तम कहलाता है. आहार दान, औषध दान, शास्त्र दान और अभय दान. त्याग और दान के बिना न तो व्यक्ति का जीवन चलता है और न ही समाज. उन्होंने संदेश दिया कि जो गलत है उसका त्याग करें और जो अच्छा है उसे दान करें. इससे पूर्व प्रातःकालीन शांतिधारा सुनील कुमार, अनिल कुमार चांदुवड़ परिवार व चंद्रेश कुमार, श्रेयांश कुमार जैन परिवार द्वारा अपर बाजार मंदिर में की गयी. वहीं, अशोक कुमार, रवि कुमार, विवेक कुमार अजमेरा और निर्मल कुमार, निलेश कुमार सोगानी परिवार ने वासुपूज्य जिनालय में शांतिधारा की. दोपहर में दशलक्षण पर्व के दौरान व्रतों की साधना कर रहे भक्तों के लिए सामूहिक प्रार्थना की गयी. यह कार्यक्रम जैन भवन हॉल में जैन महिला जागृति की ओर से आयोजित किया गया.
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