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आदिवासी समुदाय के संघर्ष का दस्तावेज है दयामनी की पुस्तक

आंदोलनकारी व सामाजिक कार्यकर्ता दयामनी बरला की नयी पुस्तक बाजार में आयी है. पुस्तक का शीर्षक है-संविधान प्रदत आदिवासी अधिकार खतरे में.

रांची. आंदोलनकारी व सामाजिक कार्यकर्ता दयामनी बरला की नयी पुस्तक बाजार में आयी है. पुस्तक का शीर्षक है-संविधान प्रदत आदिवासी अधिकार खतरे में. यह पुस्तक आदिवासी समुदाय के संघर्ष का दस्तावेज है. इसमें छोटे-छोटे कई अध्याय हैं. इस पुस्तक में आदिवासी समुदाय व झारखंड का संक्षिप्त इतिहास है. इनमें बताया गया है कि कैसे आदिवासी समुदाय ने हजारों साल पहले जंगलों को आबाद कर उसमें निवास करना शुरू किया. इसके अलावा सीएनटी एक्ट, पेसा कानून, बिरसा उलगुलान और उसका परिणाम, लगान मुक्त भूमि, फॉरेस्ट राइट व वर्तमान स्थिति पर अध्ययन रिपोर्ट है. इसके अलावा कई लेखों में अलग राज्य राज्य की लड़ाई क्यों, 2014 के बाद जमीन संबंधी कानूनों में बदलाव, बदलाव किसके लिए आदि लेख भी हैं. इन लेखों के जरिए बताया गया है कि किस तरह सरकारें आदिवासी इलाकों में अपना प्रभाव बढ़ा रही हैं और उसका क्या असर होगा. दयामनी पहले भी कई किताबें लिखा चुकी हैं. इनमें मुख्य रूप से दो दुनिया, एक इंच जमीन नहीं देंगे, विस्थापन का दर्द, किसानों की जमीन की लूट किसके लिए, झारखंड में धर्मांतरण का सच व परंपरागत खेती को बढ़ावा देना शामिल हैं.

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