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Political news : गो पालन से रोजगार के अवसर पैदा करने की है जरूरत : सुदिव्य सोनू

झारखंड गो सेवा आयोग की ओर से आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला संपन्न

रांची. भारत सनातन संस्कृति का देश रहा है. महिलाओं के साथ-साथ हम सब गाय को भी माता का दर्जा देते आये हैं. पहले गो पालन एक सामान्य विषय था. पर अब इससे रोजगार को भी जोड़ना जरूरी है. उक्त बातें नगर विकास मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू ने कही. वे शुक्रवार को झारखंड गो सेवा आयोग द्वारा पारिस्थितिकी संतुलन एवं आधुनिकता के परिप्रेक्ष्य में गो सेवा के क्षेत्र में उभरती चुनौतियां एवं संभावनाएं विषय पर आयोजित कार्यशाला में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि इस कार्यशाला से बच्चों के कुपोषण को दूर करने में मदद मिलेगी. इस मौके पर मंत्री ने अलग-अलग राज्यों से आये वैज्ञानिकों को प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया. पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने कहा कि जब वे केंद्र में फूड प्रोसेसिंग मंत्री थे, तो इस विभाग के जरिये डेयरी व गो रक्षा पर कार्य किये थे. उन्होंने झारखंड में ज्यादा डेयरी नहीं होने और इसके लिए गाय से पर्याप्त दूध नहीं होने की आशंका पर भी चर्चा की.

हमारी संस्कृति में पशुधन का विशेष स्थान : कमलेश

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष केशव महतो कमलेश ने कहा कि कार्यशाला में विभिन्न प्रदेशों से आये एक्सपर्ट के विचार व रणनीति से बेहतर कार्ययोजना बनाने में मदद मिलेगी. हमारी संस्कृति में पशुधन व गो माताओं का विशेष स्थान रहा है. गो सेवा आयोग के अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद ने गो सेवा आयोग के स्तर से किये जा रहे प्रयासों का उल्लेख किया. गोशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने में मदद का भरोसा दिलाया. उपाध्यक्ष राजू गिरी ने राज्य में गो सेवा के जरिये महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की बात कही. कार्यक्रम में पूर्व सांसद वल्लभभाई कथीरिया, आयोग के सचिव डॉ संजय प्रसाद, डॉ मुकेश मिश्रा, डॉ प्रभात पांडेय, डॉ जय तिवारी आदि उपस्थित थे.

पंचगव्य चिकित्सा व नस्ल संरक्षण पर विशेष सत्र

दो दिवसीय कार्यशाला के दूसरे दिन पंचगव्य चिकित्सा और नस्ल संरक्षण पर दो अलग-अलग सत्र का आयोजन हुआ. पंचगव्य चिकित्सा के सत्र के दौरान बिरसा कृषि विश्वविद्यालय रांची के डॉ सिद्धार्थ जायसवाल ने कहा कि रासायनिक खेती से मिट्टी में जहर जा रहा और इससे उपजनेवाली फसल व सब्जियों के जरिये हमारे अंदर जहर जा रहा है. पंचगव्य आयुर्विज्ञान शोध संस्थान, जमशेदपुर के डॉ मदन सिंह कुशवाहा ने पंचगव्य थेरेपी के महत्व और उपयोगिता के बारे में बताया. आइसीएआर , पटना के डॉ पीसी चंद्रन ने झारखंड में कैटल, दूध उत्पादन और संभावनाओं के बारे में जानकारी दी. रामकृष्ण मिशन, मोरहाबादी के डॉ सुदर्शन विश्वास ने भी पंचगव्य और गाय आधारित ऑर्गेनिक फार्मिंग के इतिहास और इसके महत्व के बारे में बताया.

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