रांची. झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने वर्ष 1987 से कार्यरत स्नातक लैब सहायकों को डेमोस्ट्रेटर के पद का लाभ देने को लेकर दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई की. इस दाैरान अदालत ने प्रार्थी का पक्ष सुना. आदेश का पालन नहीं होने तथा उसके लिए फिर से समय मांगे जाने पर अदालत ने प्रतिवादी के खिलाफ कड़ी नाराजगी जतायी. अदालत ने उच्च व तकनीकी शिक्षा सचिव राहुल पुरवार के खिलाफ अवमानना का नोटिस जारी करते हुए पूछा है कि क्यों नहीं आपके खिलाफ अवमानना के लिए चार्जफ्रेम किया जाये. अगली सुनवाई के दाैरान सशरीर हाजिर होकर जवाब देने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई के लिए अदालत ने नाै मई की तिथि निर्धारित की. इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता प्रभात कुमार सिन्हा ने अदालत को बताया कि एकल पीठ ने वर्ष 1987 से कार्यरत स्नातक लैब सहायकों को डेमोस्ट्रेटर के समकक्ष मानते हुए उन्हें उस पद का लाभ देने का आदेश दिया था. अगस्त 2024 में राज्य सरकार ने स्नातक लैब सहायकों को डेमोस्ट्रेटर के समकक्ष माना और कहा था कि इस तरह के और भी कर्मी हैं, सबके साथ लाभ दिया जायेगा, लेकिन सरकार ने अब तक एकल पीठ के आदेश का पालन नहीं किया है. डेमोस्ट्रेटर के समकक्ष मानते हुए प्रार्थियों को उस पद का लाभ नहीं दिया है. फिर समय मांगा जा रहा है. वहीं राज्य सरकार की ओर से आदेश का पालन करने के लिए फिर समय देने का आग्रह किया गया. 17 फरवरी को पिछली सुनवाई के दौरान उच्च सचिव सशरीर उपस्थित हुए और आदेश के अनुपालन करने की बात कही, लेकिन शुक्रवार को भी उनकी ओर से समय की मांग की गयी. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी अरुण कुमार व अन्य की ओर से अवमानना याचिका दायर कर एकल पीठ के आदेश का अनुपालन कराने की मांग की गयी है.
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