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Health News : अचानक हृदयाघात को लेकर बढ़ी चिंता, आमलोग भी सीखेंगे सीपीआर देना

स्वास्थ्य विभाग ने आमलोगों को सीपीआर देने के गुर सिखाने का फैसला लिया है. इसी कड़ी में 13 से 17 अक्तूबबर तक राष्ट्रव्यापी सीपीआर जागरूकता सप्ताह मनाया जायेगा.

रांची. आमतौर पर लोगों को कार्डियो-पल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) की जानकारी नहीं होती, जिससे अचानक हृदय गति रुकने या ‘सडन कार्डियक अरेस्ट’ की स्थिति में पीड़ित की मौत हो जाती है. अगर प्रशिक्षित व्यक्ति समय पर पीड़ित को सीपीआर देता है, तो काफी जिंदगियां बचायी जा सकती हैं. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग ने आमलोगों को सीपीआर देने के गुर सिखाने का फैसला लिया है. इसी कड़ी में 13 से 17 अक्तूबबर तक राष्ट्रव्यापी सीपीआर जागरूकता सप्ताह मनाया जायेगा.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने झारखंड सरकार को लिखा पत्र

उक्त अभियान को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने झारखंड सरकार को एक पत्र लिखा है. इसमें कहा गया कि सीपीआर एक जीवनरक्षक तकनीक है, जो सडन कार्डियक अरेस्ट के दौरान पीड़ित को पुनर्जीवित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. इधर, भारत सरकार के अनुरोध पर झारखंड के स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग के अपर मुख्य सचिव अजय कुमार सिंह ने एम्स देवघर, रिम्स रांची समेत सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों एवं अस्पतालों के प्राचार्यों और सिविल सर्जन को पत्र लिखा है. इसमें राष्ट्रव्यापी सीपीआर जागरूकता सप्ताह मनाने का अनुरोध किया गया है.

प्रति मिनट की देरी से 10% कम होती जाती है बचने की संभावना

केंद्र सरकार के पास मौजूद रिसर्च से जुड़े आंकड़ों से पता चलता है कि सीपीआर के बिना, कुछ ही मिनटों में मस्तिष्क की कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो सकती हैं. वहीं, हर मिनट की देरी से बचने की संभावना लगभग 10% कम हो जाती है. तत्काल बाईस्टैंडर सीपीआर से बचने की संभावना दो से तीन गुना बढ़ सकती है. जबकि, उच्च आय वाले देशों में लगभग 50% लोगों ने सीपीआर प्रशिक्षण प्राप्त किया है. भारत में बाईस्टैंडर सीपीआर की दर चिंताजनक रूप से कम है, जो केवल 1.3% से 9.8% के बीच है.

हृदय रोगियों के लिए जारी हुआ इमरजेंसी नंबर

आपातकालीन सेवाओं 112, 108, 102 पर कॉल करने के साथ ही पीड़ित आयुष्मान भारत मुख्यमंत्री जन-जारोग्य योजना की जानकारी के लिए जारी निःशुल्क डायल नंबर (टॉल फ्री) पर 18003456540 कॉल कर सहायता हासिल कर सकते हैं.

सडन कार्डियक अरेस्ट में क्या करें

– किसी को सडन कार्डियक अरेस्ट हो, तो पहले अपनी और पीड़ित की सुरक्षा सुनिश्चित करें

– कंधे पर थपथपाकर और चिल्लाकर ‘क्या आप ठीक हैं’ कहकर प्रतिक्रिया लेने का प्रयास करें- सुनिश्चित करें कि पीड़ित एक ठोस, सपाट सतह पर लेटा हो, छाती पर दबाव डालने समय अपनी कोहनियां सीधी रखें

– छाती पर प्रति मिनट 100-120 की दर से छाती पर दबाव डालें और अगला दबाव देने से पहले छाती को सामान्य स्थिति में आने दें- सीपीआर तब तक जारी रखें जब तक व्यक्ति होश में न आ जाये या चिकित्सा सहायता न आ जाये

– यदि उपलब्ध हो, तो स्वचालित बाह्य डिफाइब्रिलेटर (एइडी) का प्रयोग करें

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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