रांची. ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री दीपिका पांडेय सिंह ने कहा कि झारखंड सरकार स्थानीय लोगों की आजीविका वृद्धि के लिए प्रयत्नशील है. सरकार झारखंड में रहने वाले लोगों की आय वृद्धि के लिए प्रतिबद्ध है. सरकार ऐसे मॉडल को बढ़ावा दे रही है, जो आजीविका में स्थायित्व प्रदान करे. आय वृद्धि, आदिवासी और ग्रामीण समुदाय के अवसर में विस्तार सुनिश्चित करे. मंत्री शुक्रवार को राजधानी में भारत रूरल लाइवलीहुड फाउंडेशन (बीआरएलएफ) के कार्यक्रम में बोल रही थीं. इसका आयोजन यूएनडीपी के सहयोग से किया गया. इसमें टीआरआइएफ, सेमिना एग्रो, निसा, कला मंदिर, सस्टेन प्लस, सराय एग्रो, एआएफ, सपोर्ट, प्रदान, गोट ट्रस्ट आदि संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने पैनल डिस्कशन में हिस्सा लिया.
वैल्यू एडिशन से 28 गुना बढ़ जाती है कीमत
भारत सरकार की संस्था बीआरएलएफ के सीइओ कुलदीप चौधरी ने कहा कि झारखंड के तीन जिलों की छह पंचायतों में कृषि उपज के वैल्यू एडिशन की संभावना पर अध्ययन होगा. इसमें यूएनडीपी सहयोग करेगा. यह अध्ययन धनबाद, सरायकेला और गिरिडीह जिले में होगा. यह काम सात-आठ माह में करा लिया जायेगा. इसके बाद उत्पादों के वैल्यू एडिशन पर काम होगा. झारखंड में आम व कटहल जैसे कई ऐसे उत्पाद हैं, जिनका वैल्यू एडिशन हो सकता है. इससे उत्पादों की कीमत 28 गुना अधिक बढ़ जाती है. इससे किसानों की गरीबी दूर हो सकती है.झारखंड में धीरे-धीरे घट रहा जंगल
केंद्रीय तसर अनुसंधान संस्थान (सीटीआरआइ) के वैज्ञानिक डॉ एस गिरी ने कहा कि पर्यावरण बदल रहा है. हम लोग पर्यावरण को बिगाड़ रहे हैं. झारखंड में एक तिहाई जंगल पर भूमि है. यह धीरे-धीरे घट रहा है. यहां की मिट्टी भी अम्लीय है. इस कारण यहां आजीविका के कई मॉडल पर काम करने की जरूरत है. पशुधन भी महत्वपूर्ण हो सकता है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की संस्था हार्प के पूर्व निदेशक एस कुमार ने कहा कि आजीविका वृद्धि के क्षेत्र में जो गुड प्रैक्टिस हैं, उसको भी सूचीबद्ध किया जाना चाहिए. संस्थान और संसाधन के बेहतर उपयोग पर काम करना चाहिए. नाबार्ड की दीपमाला ने भी भी अपने विचार रखे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

