रांची. आज हमारी व्यवस्था लिनियर इकोनॉमी पर आधारित है, यानी उत्पाद खरीदते हैं उसका इस्तेमाल करते हैं और फिर उसे कचरे के डब्बे में डाल देते हैं, ये तरीका पर्यावरण को काफी हानिकारक है. ऐसा न हो इसके लिए बीआइटी लालपुर एक्सटेंशन अपने विद्यार्थियों को सर्कुलर इकोनॉमी जैसी व्यवस्था के प्रति जागरूक कर रहा है. संस्थान द्वारा सर्कुलर इकोनॉमी पर लगातार लेक्चर आयोजित किये जा रहे हैं. विद्यार्थियों को बताया जा रहा है कि हम अपने संसाधनों का किस तरह उपयोग करें, ताकि कचरा पैदा न हो और प्रकृति का भी संतुलन बना रहे. यह जिम्मेदारी प्रोफेसर डॉ आशुतोष मिश्रा को मिली है.
सर्कुलर इकोनॉमी के बारे में जानिए
सर्कुलर इकोनॉमी एक ऐसी प्रणाली है, जिसमें उत्पादों को रीसाइक्लिंग के जरिये पुन: इस्तेमाल करने योग्य बनाया जाता है. एक ऐसी प्रणाली है जो बताती है कि जो संसाधन हमारे लिए उपयोगी नहीं हैं, लेकिन उसकी रीसाइक्लिंग कर नये उत्पाद बनाये जा सकते हैं. डॉ आशुतोष ने कहा कि 1970 के बाद से संसाधन निष्कर्षण (प्राकृतिक संसाधनों को मानव उपयोग के लिए तैयार करना) तीन गुना हो गया है और वर्ष 2050 तक इसके बढ़ने का अनुमान है. पूरी दुनिया में जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता के नुकसान और प्रदूषण के प्रभावों को महसूस किया जा रहा है. इसे लेकर संस्थान जलवायु परिवर्तन व जैव विविधता से हो रहे दुष्परिणामों को बता रहा है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

