रांची. राज्य सरकार की समन्वय समिति के सदस्य व प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने कहा है कि जल जीवन मिशन के साथ ही अन्य केंद्रीय योजनाओं में झारखंड की हिस्सेदारी की बड़ी राशि भारत सरकार के पास बकाया है. इससे राज्य के आर्थिक व सामाजिक विकास पर नकारात्मक असर पड़ रहा है. झारखंड के लोगों के हित में केंद्र को अविलंब बकाया राशि का भुगतान करना चाहिए.
34.40 लाख घरों तक ही पानी पहुंचाया जा सका
श्री तिर्की ने कहा कि ग्रामीण घरों में पेयजल पहुंचाने के लिए 15 अगस्त 2019 को शुरू की गयी नल-जल योजना 31 मार्च 2024 तक पूरी हो जानी थी. लेकिन, इसे बढ़ा कर 31 मार्च 2025 कर दिया गया. झारखंड में लक्ष्य 62.54 लाख घरों के मुकाबले केवल 34.40 लाख घरों तक ही पानी पहुंचाया जा सका. इसका बड़ा कारण केंद्र द्वारा योजना के लिए राज्य को राशि का भुगतान नहीं करना है. वित्तीय वर्ष 2024-25 में केंद्र ने जल जीवन मिशन के राज्य को 2114.16 करोड़ रुपये दी जानी थी. परंतु, राज्य को इस मद में केवल 70 करोड़ रुपये ही दिये गये. 24,665.30 करोड़ की अनुमानित लागत वाली नल-जल योजना की 50 प्रतिशत राशि केंद्र द्वारा दी जानी थी. उसमें से अब तक सिर्फ 5,987.46 करोड़ रुपये का ही भुगतान किया गया है.
केंद्र ने कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया
श्री तिर्की ने कहा कि पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री योगेंद्र प्रसाद ने केंद्रीय जल शक्ति मंत्री से मुलाकात कर बकाया राशि के साथ वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए भी राज्य हिस्सा विमुक्त करने की मांग की. लेकिन, अब तक केंद्र ने कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया.
झारखंड की उपेक्षा कर रही केंद्र सरकार
उन्होंने कहा कि ग्रामीण विकास विभाग की योजनाओं का हाल भी ऐसा ही है. यह स्थिति तब है जब योजनाओं से संबंधित केंद्र सरकार के निर्देशों का पालन राज्य सरकार द्वारा सख्ती से किया जा रहा है. श्री तिर्की ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी सहित भाजपा के सभी सांसदों और विधायकों की आलोचना करते हुए कहा कि छोटी-छोटी बातों को मुद्दा बना कर राजनीति करने वाले राज्य के लोगों के लिए संवेदनशील, गंभीर और विकास से जुड़े मामलों पर चुप्पी साध लेते हैं. प्रत्येक केंद्रीय योजना में हिस्सेदारी देने के मामले में केंद्र सरकार झारखंड सहित उन सभी राज्यों की उपेक्षा करती है, जहां कांग्रेस या अन्य विपक्षी दलों की सरकार है.
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