Buddha Purnima 2025: भगवान बुद्ध का झारखंड से काफी गहरा नाता है. यहां कई ऐसे अवशेष मौजूद हैं, जो उनकी उपस्थिति की गवाही देते हैं. भगवान बुद्ध ने पूरे विश्व को सत्य, अहिंसा, शांति और परस्पर प्रेम का दिव्य संदेश दिया. इनके जीवन में तीन घटनायें सबसे अहम रहीं- जन्म, बुद्धत्व की प्राप्ति और महापरिनिर्वाण. ये सभी घटनायें, वैशाख पूर्णिमा के दिन घटित हुई. इसी वजह से इस पूर्णिमा को त्रिविध पूर्णिमा या बुद्ध पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. झारखंड के पलामू, संताल परगना, और छोटानागपुर सहित कई अन्य जगहों में खुदाई के दौरान भगवान बुद्ध से जुड़े अवशेष मिले हैं, जिनमें बौद्ध प्रतिमाएं, विहार, स्तूप आदि शामिल हैं. ये अवशेष इस बात का प्रमाण है कि भगवान बुद्ध का झारखंड से संबंध है. उन्होंने यहां की भूमि पर अपने कदम रखे थे.
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इन जगहों पर मिले भगवान बुद्ध से जुड़े अवशेष
जानकारी के अनुसार, पलामू में खुदाई के दौरान दो स्तूप और चतरा के इटखोरी में एक पूरी नगर की संरचना के अवशेष मिले हैं. साथ ही चतरा के मां भद्रकाली परिसर में पुरातात्विक विभाग की खुदाई के दौरान स्तूप भी मिले हैं. इसके अलावा मंदिर परिसर में एक संग्राहालय भी है, जिसमें भगवान बुद्ध के कीमती अवशेष देखे जा सकते हैं. हजारीबाग, रांची और गुमला में भी खुदाई के दौरान भगवान बुद्ध से संबंधित अवशेष मिले हैं. हजारीबाग के बहोरनपुर में हाल ही में खुदाई के बाद बौद्ध प्रतिमाएं और बौद्ध विहार के कुछ विशेष मिले हैं. इसी तरह गुमला से थोड़ा आगे बढ़ने पर केतुंगाधाम नाम की जगह है. यहां से बुद्ध की मानवाकार स्थानक मूर्तियां मिली है. वहीं, जब हम पलामू की ओर जाते हैं, तो सहवीरा में बौद्ध स्तूप मिले हैं.
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रांची से भी जुड़ा है बुद्ध का नाम
राजधानी रांची के अंतर्गत आने वाले जोन्हा फॉल को गौतमधारा फॉल के रूप में भी जाना जाता है. ऐसा माना जाता है कि गौतम बुद्ध (भगवान बुद्ध) ने जोन्हा फॉल में आकर स्नान किया था. फिर ध्यान लगाया था. इस वजह से इस जलप्रपात को गौतमधारा भी कहा जाता है. जोन्हा में बौद्ध धर्म से जुड़े कई प्रतीक मौजूद हैं, जिसमें पहाड़ी के ऊपर स्थित प्राचीन बुद्ध मंदिर भी शामिल है. इस जगह को बौद्ध धर्म के लोग अपने तीर्थ स्थल के रूप में मानते हैं.
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