Jharkhnad News (अमन तिवारी) : पीएलएफआइ सुप्रीमो दिनेश गोप हर साल दो करोड़ रुपये की लेवी वसूलता था. वह राज्य या केंद्र सरकार की योजनाओं से जुड़े ठेकेदारों से दो प्रतिशत की दर से लेवी लेता था. यह खुलासा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच में हुआ है. सड़क, रेल लाइन, भवन निर्माण के अलावा कोयला, बॉक्साइट, आयरन ओर, बालू और स्टोन के कारोबार से जुड़े लोगों से भी दो प्रतिशत की दर से लेवी वसूल की जाती थी.
दिनेश गोप ने झारखंड लिबरेशन टाइगर का किया गठन
ईडी की रिपोर्ट के अनुसार, दिनेश गोप ने वर्ष 2004 में राजनीतिक पार्टी के रूप में झारखंड लिबरेशन टाइगर का गठन किया था. आरंभ में इसके 40 सदस्य थे. यह संगठन खूंटी, गुमला, रांची, सिमडेगा और इसके आस- पास के इलाके में सक्रिय था. इस संगठन पर झारखंड सरकार ने वर्ष 2008 में प्रतिबंध लगा दिया था. इसके बाद वर्ष 2008 में संगठन का नाम पीएलएफआइ रखा गया गया था. संगठन में चेयरमैन, वाइस चेयरमैन, स्टेट प्रेसीडेंट, रिजनल कमांडर, जोनल कमांडर, सब जोनल कमांडर, एरिया कमांडर और सदस्य के पद थे.
लेवी देने से इंकार करने पर किया जाता था हमला
दिनेश गोप दो प्रतिशत की दर से लेवी की वसूली स्थानीय कमांडर के सहयोग से करता था. जो ठेकेदार लेवी देने से इंकार करते थे. उन पर हमला किया जाता था और साइट पर आगजनी की जाती थी. दिनेश गोप द्वारा लेवी वसूली और मनी लाउंड्रिंग से जुड़े तथ्यों की जांच के दौरान इडी ने पाया कि दिनेश गोप ने वर्ष 2008 से लेकर 2012 तक पहले प्रति साल एक करोड़ की लेवी वसूली की थी. लेकिन वर्ष 2012 से लेकर 2020 तक उसने दो करोड़ प्रति साल लेवी की वसूली की. इस तरह उसने उक्त अवधि के दौरान करीब 20 करोड़ रुपये लेवी के रूप में वसूले.
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दिनेश गोप ने अपने सहयोगी सुमंत और पत्नी हीरा देवी और शकुंतला देवी के नाम पर शेल कंपनियां भी बनायी थी. इन शेल कंपनियों में लेवी में वसूले गये पैसे नकद जमा किये जाते थे. शेल कंपनियों के माध्यम से ही लेवी में वसूले गये पैसे की मनी लाउंड्रिंग की जाती थी.

