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रांची में ठंड बढ़ते ही रिम्स के क्रिटिकल केयर में सभी बेड हुये फुल, सांस व ब्रेन स्ट्रोक के बढ़े मरीज

राजधानी रांची में ठंड बढ़ते ही रिम्स के क्रिटिकल केयर में मरीजों की संख्या बढ़ गई है. इनमें से ब्रेन स्ट्रोक, सांस की समस्या और निमोनिया वाले मरीजों की संख्या ज्यादा है. सभी को रिम्स के क्रिटिकल केयर विभाग में भर्ती कराया गया है. मरीजों में 70 फीसदी वेंटिलेटर पर हैं, जिनकी स्थिति गंभीर है.

ठंड बढ़ते ही ब्रेन स्ट्रोक, सांस की समस्या और निमोनिया वाले मरीजों की संख्या बढ़ गयी है. अनियंत्रित बीपी के कारण अचानक ब्रेन स्ट्रोक की चपेट में लोग आ रहे हैं. रिम्स के क्रिटिकल केयर विभाग के सभी 20 बेड फुल हो गये हैं. चिंता की बात यह है कि इसमें भर्ती मरीजों में 70 फीसदी वेंटिलेटर पर हैं, जिनकी स्थिति गंभीर है. आठ मरीजों को ब्रेन स्ट्रोक, ब्रेन हेमरेज और मस्तिष्क की समस्या है. वहीं, पांच से छह मरीजों को सांस की समस्या है. इसके अलावा छह मरीजों में कुछ को निमोनिया तो किसी काे मल्टी आर्गन की समस्या है. सबसे ज्यादा बुजुर्ग मरीजों को समस्या बढ़ने पर भर्ती करना पड़ रहा है. क्रिटिकल केयर विभाग में पिछले 15 दिनों में बेड की डिमांड बढ़ गयी है. पहले तीन से चार मरीजों के भर्ती करने के लिए बेड की मांग आती थी, लेकिन अभी सात से आठ मरीजों के लिए परिजन बेड की मांग लेकर आते हैं. हालांकि क्रिटिकल केयर में वेंटिलेटर के लिए बेड नहीं मिलने के कारण मरीजों को लौटना पड़ रहा है.

सांस की समस्या व हार्ट-बीपी वाले मरीज रहें सावधान

ठंड के मौसम में सबसे ज्यादा समस्या बुजुर्ग, सांस की समस्या, हार्ट और बीपी वाले मरीजों को होती है. ऐसे मरीजों को ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है. ठंड में बीपी अनियंत्रित हो जाता है, इसलिए ब्रेन स्ट्रोक का खतरा ज्यादा रहता है. ऐसे में बीपी की जांच कराते रहना चाहिए. इसके अलावा अस्थमा और सीओपीडी वाले मरीजों को सांस लेने में दिक्कत आती है. हार्ट के मरीजों की परेशानी बढ़ जाती है. ऐसे में अपने मन से दवा नहीं छोड़ें. सुबह-शाम गर्म कपड़ा पहनें. गुनगुना पानी का इस्तेमाल करें. हरी साग-सब्जी और फल का प्रयोग करें. गर्म व ताजा खाना ही खायें. ठंड बढ़ने से ब्रेन स्ट्रोक और सांस की समस्या वाले मरीज पिछले कुछ दिनों में बढ़े हैं. अधिकतर मरीज वेंटिलेटर पर हैं. बेड की डिमांड बढ़ गयी है, जो पूरा नहीं हो पा रहा है. ठंड में बुजुर्ग व गंभीर बीमारी वाले मरीज सावधान रहें.

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रिम्स ब्लड बैंक में एसटीपी किट खत्म, परेशानी

रिम्स के ब्लड बैंक में एसटीपी किट नहीं मिल रहा है. इस कारण मरीज के परिजन परेशान हैं. एसटीपी किट का उपयोग प्लेटलेट्स देने में किया जाता है. अब निजी ब्लड बैंक में ज्यादा पैसे देकर प्लेटलेट्स लाना पड़ रहा है. वहीं, रिम्स प्रबंधन का कहना है कि शीघ्र ही किट उपलब्ध करा दिया जायेगा.

ठंड बढ़ते ही बढ़ी मरीजों की संख्या

ठंड बढ़ते ही ब्रेन स्ट्रोक, सांस की समस्या और निमोनिया वाले मरीजों की संख्या बढ़ गयी है. अनियंत्रित बीपी के कारण अचानक ब्रेन स्ट्रोक की चपेट में लोग आ रहे हैं. रिम्स के क्रिटिकल केयर विभाग के सभी 20 बेड फुल हो गये हैं. चिंता की बात यह है कि इसमें भर्ती मरीजों में 70 फीसदी वेंटिलेटर पर हैं, जिनकी स्थिति गंभीर है. आठ मरीजों को ब्रेन स्ट्रोक, ब्रेन हेमरेज और मस्तिष्क की समस्या है. वहीं, पांच से छह मरीजों को सांस की समस्या है. इसके अलावा छह मरीजों में कुछ को निमोनिया तो किसी काे मल्टी आर्गन की समस्या है. सबसे ज्यादा बुजुर्ग मरीजों को समस्या बढ़ने पर भर्ती करना पड़ रहा है. क्रिटिकल केयर विभाग में पिछले 15 दिनों में बेड की डिमांड बढ़ गयी है. पहले तीन से चार मरीजों के भर्ती करने के लिए बेड की मांग आती थी, लेकिन अभी सात से आठ मरीजों के लिए परिजन बेड की मांग लेकर आते हैं. हालांकि क्रिटिकल केयर में वेंटिलेटर के लिए बेड नहीं मिलने के कारण मरीजों को लौटना पड़ रहा है.

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