प्रतिनिधि, रातू
रातू पुलिस के प्रयास से पिछले 10 वर्षों से गुम रातू के मुरचू का बहादुर उरांव शुक्रवार को अपने घर पहुंचा. बहादुर अपनी पत्नी सोमरी देवी को देखकर फफक पड़ा. वह रातू थाना प्रभारी रामनारायण सिंह का बार-बार आभार जता रहा था. उसने बताया कि वह पिछले 10 वर्षों से ओडिशा के एक बार में काम कर रहा था. बार का मालिक उसे दिनभर अपने घर में रखता था और रात होते ही बार में काम करने के लिए ले जाता था. उसे पूरी निगरानी में रखता था. बहादुर ने कई बार अपने घर आने का प्रयास किया, लेकिन मालिक के पहरा से वह सफल नहीं हो पाया. बहादुर ने बताया कि बार का मालिक केवल उसे खाना देता था और मजदूरी की मांग करने पर गाली देता था. वह ओडिशा कैसे पहुंचा, पूछने पर बताया कि वह अपनी बेटी को लेकर शाम में पटना में घूमने निकला था. इसी बीच वह कैसे और कब ओडिशा पहुंचा उसे कुछ पता नहीं था. उसने बताया कि उसकी बेटी को भी उससे अलग कर दिया गया, वह कहां गयी इसका भी उसे पता नहीं. उसने पत्रकारों को बताया कि यदि वह अपने घर नहीं लौटता तो बहुत दिनों तक जिंदा नहीं रह पाता. इधर बहादुर के लौटने से उसके गांव वाले और परिजनों के खुशी का ठिकाना नहीं है. गांव की पूर्व मुखिया रीता देवी व पूरियो पंचायत की मुखिया ज्योति देवी ने कहा कि यदि रातू के थाना प्रभारी मदद नहीं करते तो बहादुर गुमनाम के अंधेरों से नहीं निकल पाता.बहादुर के तलाश को चुनौती के रूप में लिया – थाना प्रभारी———————रातू। रातू थाना प्रभारी रामनारायण सिंह ने कहा कि बहादुर की पत्नि सोमरी ने बताया कि उसका 10 वर्षों से लापता है और उसके उड़ीसा में होने की खबर मिली है. एक कॉल आया था. उसी कॉल के आधार पर सीडीआर निकाल कर बहादुर की खोज के लिए एएसआई मनोज कुमार उड़ीसा भेजा गया. जहां लोकल थाना की मदद से दिन भर बहादुर की तलाश के लिए छापामारी की गई. कई घंटे बाद बहादुर को एक बार से बरामद किया गया. बार के संचालक ने स्थानीय पुलिस के दबाव पर बहादुर को 20 हजार रूपये भी दिए. हालांकि यह राशि उसके इतने वर्षों के मजदूरी के लिए पर्याप्त नहीं है.
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