महिलाओं ने झूले झूले, सोलह शृंगार कर की नीमड़ी माता की पूजा
रांची. माहेश्वरी समाज का लोकप्रिय पर्व बड़ी तीज, जिसे सातूड़ी तीज भी कहा जाता है, मंगलवार को पूरे उत्साह और पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ मनाया गया. भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीय तिथि को मनाया जाने वाला यह पर्व सुहागन महिलाओं, नवविवाहिताओं और कुंवारी कन्याओं के बीच विशेष लोकप्रिय है. इस अवसर पर महिलाओं ने हाथों में मेहंदी रचाई, पारंपरिक गीत गाये, नृत्य किया और झूला सजाकर झूला झूले. लक्ष्मी नारायण मंदिर में विशेष झूले की व्यवस्था की गयी थी, जहां सजी-धजी महिलाएं एकत्र हुईं. कई घरों में भी झूले सजाये गये. दिन भर व्रत रखने के बाद शाम को सोलह शृंगार कर महिलाएं नीमड़ी माता की पूजा करती हैं और चंद्रमा को अर्घ अर्पित कर परिवार के बड़ों का आशीर्वाद लेती हैं. पर्व पर घरों में गेहूं, बेसन, चावल और मैदा के सत्तू (पिंडा) तैयार कर ड्राइ फ्रूट्स से सजाया गया. सत्तू को प्रसाद रूप में ग्रहण किया गया और उद्यापन वर्ष में रिश्तेदारों को भी भेजा गया. इस बार कई नवविवाहिताओं ने अपना पहला तीज मनाया. अपर बाजार की मुस्कान साबू और निकिता राठी ने परंपरा अनुसार मायके से सिंझारा प्राप्त कर तीज का उत्सव मनाया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

