सिकिदिरी के भुसूर में श्रीश्री शिव मंदिर प्राण प्रतिष्ठा सह भागवत ज्ञान महायज्ञ
श्रीकृष्ण-रुक्मिणी विवाह की झांकी दिखायी गयी
प्रतिनिधि, अनगड़ा
सिकिदिरी के भुसूर में श्रीश्री शिव मंदिर प्राण प्रतिष्ठा सह भागवत ज्ञान महायज्ञ के सातवें दिन सोमवार को श्रीकृष्ण-रुक्मिणी विवाह की झांकी दिखायी गयी. श्रद्धालुओं ने भगवान श्रीकृष्ण की बारात का उत्साहपूर्वक स्वागत किया. साध्वी सुनीता दीदी ने कहा कि लक्ष्मी जी का अवतार रुक्मिणी विदर्भ देश के राजा भीष्मक की पुत्री थीं. रुक्मिणी ने जब देवर्षि नारद से श्रीकृष्ण के रूप, सौंदर्य, बल और गुणों की प्रशंसा सुनी तो उसने मन ही मन श्रीकृष्ण से विवाह करने का निश्चय किया. रुक्मिणी का बड़ा भाई रुक्मी श्रीकृष्ण से वैर रखता था और अपनी बहन का विवाह शिशुपाल से कराना चाहता था. रुक्मिणी को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने एक संदेशवाहक द्वारा श्रीकृष्ण के पास अपना परिणय संदेश भिजवाया, तब श्रीकृष्ण विदर्भ देश की नगरी कुंडीनपुर पहुंचे और वहां बारात लेकर आये शिशुपाल व उसके मित्र राजाओं शाल्व, जरासंध, दंतवक्त्र, विदु रथ और पौंडरक को युद्ध में परास्त करके रुक्मिणी का उनकी इच्छा से हरण कर लाये. उनका मार्ग रुक्मी ने रोका और कृष्ण को युद्ध के लिए ललकारा. तब युद्ध में श्रीकृष्ण व बलराम ने रुक्मी को पराजित करके दंडित किया. श्रीकृष्ण ने द्वारिका में रुक्मिणी से विवाह किया.यज्ञ स्थल पर विवाह का विधिवत मंत्रोच्चारण
साध्वी ने कहा कि भक्त का परिश्रम और भगवान की कृपा से सभी काम सफल होते हैं. इस दौरान भगवान श्रीकृष्ण और रुक्मिणी के विवाह का मंत्रोच्चारण के साथ विधिवत आयोजन हुआ. आयोजन में समिति के अध्यक्ष धनेश्वर महतो, राजेंद्र महतो, नेवालाल महतो, गणेश किशोर महतो, आशा देवी, मंजु देवी, कौशल किशोर महतो, मुकेश महतो, मंगीत कुमार, तपेश्वर महतो, झब्बुलाल महतो, रामप्रसाद महतो, डिप्टी महतो, कमल महतो, हेमंत कुमार आदि का योगदान है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

