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बजट: राज्य गठन के बाद से ही की जा रही थी एम्स की मांग झारखंड को उम्मीद के मुकाबले कुछ नहीं मिला

रांची: केंद्रीय बजट में राज्य को उम्मीद के मुकाबले कुछ नहीं मिला है. लंबी कोशिश के बाद झारखंड के लिए एम्स की घोषणा हुई. एसटी, एसी और अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए केंद्र सरकार बजटीय प्रावधान में पहले के मुकाबले 30 प्रतिशत वृद्धि की घोषणा से इनकी स्थिति में कुछ और सुधार की उम्मीद जगी […]

रांची: केंद्रीय बजट में राज्य को उम्मीद के मुकाबले कुछ नहीं मिला है. लंबी कोशिश के बाद झारखंड के लिए एम्स की घोषणा हुई. एसटी, एसी और अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए केंद्र सरकार बजटीय प्रावधान में पहले के मुकाबले 30 प्रतिशत वृद्धि की घोषणा से इनकी स्थिति में कुछ और सुधार की उम्मीद जगी है. उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में 100 घर वाले टोलों को सड़क से जोड़ने की घोषणा से राज्य के उग्रवाद प्रभावित जिलों में और अधिक सड़कें बनने की उम्मीद है. हालांकि, आर्सेनिक और फ्लोराइड प्रभावित क्षेत्रों से निबटने के लिए निर्धारित लक्ष्य से राज्य को काेई खास उम्मीद नहीं है.
एम्स बनाने की घोषणा से स्वास्थ्य के क्षेत्र में बेहतर सुविधा मिलेगी : राज्य गठन के बाद से ही यहां एम्स की मांग की जा रही थी. पर एम्स कहां बने इस बिंदु पर राज्य के राजनीतिज्ञों के बीच काफी मतभेद था. काफी कोशिशों के बाद देवघर में एम्स बनाने के मुद्दे पर राज्य में सहमति बनी. राज्य में एम्स बनाने की घोषणा के बाद यहां स्वास्थ्य के क्षेत्र में बेहतर सुविधा मिलेगी.

साथ ही मेडिकल कॉलेजों में पीजी की पढ़ाई में सीटों की संख्या बढ़ाने की घोषणा से राज्य में पीजी की सीटें बढ़ाए जाने की उम्मीद की जा रही है. हालांकि, यह मेडिकल कॉलेजों द्वारा एमसीआई की शर्तों को पूरा करने पर निर्भर करता है. राज्य में पीजी की सीटें बढ़ाने की मांग भी लंबे समय से की जा रही है. पर, एमसीआइ की शर्तों के पूरा नहीं करने की वजह से यहां सीटें बढ़ने के बजाये कम हो गयी हैं. एमसीआई ने पिछले ही दिनों रिम्स की 180 पीजी सीटों में से दो सीटों की कटौती कर दी है. केंद्र ने 2025 तक टीबी और 2018 तक कुष्ठ रोग को समाप्त करने लक्ष्य तय किया है. इससे राज्य में इस बीमारी से निबटने के लिए चल रही योजनाओं में अधिक केंद्रीय सहायता मिलने की उम्मीद जतायी जा रही है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, राज्य में फिलहाल 4484 कुष्ठ रोगी हैं, जिनका इलाज चल रहा है. जबकि हर साल करीब 35-36 हजार टीबी के नए मरीजों का पता चलता है. इनमें से 3.78 प्रतिशत मरीजों की मौत हो जाती है.

राज्य में 900 टोले आर्सेनिक व फ्लोराइड से प्रभावित
केंद्र सरकार ने बजट में आर्सेनिक और फ्लोराइड प्रभावित 28000 घरों को पाइपलाइन से शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की घोषणा की है. राज्य में 900 टोले आर्सेनिक और फ्लोराइड से प्रभावित हैं. लेकिन राशि में कटौती किये जाने से राज्य के इसका लाभ नहीं के बराबर मिलेगा. नेशनल रुरल ड्रिंकिंग वाटर प्रोग्राम(एनआरडीडब्ल्यूपी) के तहत पहले राज्य को 250 करोड़ रुपये मिलते थे. चालू वित्तीय वर्ष के दौरान राज्य को सिर्फ 80 करोड़ रुपये ही मिले हैं. राज्य में आर्सेनिक फ्लोराइड से निबटने के लिए चल रही योजनाओं में 80 प्रतिशत राशि राज्य सरकार अपने कोष से खर्च करती है. सरकार अब तक 900 में से 500 टोलों में चापानलों में उपकरण लगा कर लोगों को पेयजल उपलब्ध करा रही है. 200 टोलों को पाइपलाइन से पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है.

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