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किस हैसियत से करता है अशोक स्तंभ का इस्तेमाल

-संजय-रांचीः एक गैर सरकारी संस्था है : आदिवासी कृषक महिला कल्याण परिषद, मांडर. इसका संचालक है अफजल हुसैन. अफजल को अपनी संस्था के पैड व अन्य जगहों पर अशोक स्तंभ लगाने का शौक रहा है. पहले भी संस्था अपने पैड पर भारत के राष्ट्रीय चिह्न् (अशोक स्तंभ) का इस्तेमाल करती थी. अफजल इन दिनों समाज […]

-संजय-
रांचीः एक गैर सरकारी संस्था है : आदिवासी कृषक महिला कल्याण परिषद, मांडर. इसका संचालक है अफजल हुसैन. अफजल को अपनी संस्था के पैड व अन्य जगहों पर अशोक स्तंभ लगाने का शौक रहा है. पहले भी संस्था अपने पैड पर भारत के राष्ट्रीय चिह्न् (अशोक स्तंभ) का इस्तेमाल करती थी.

अफजल इन दिनों समाज कल्याण विभाग से संबद्ध चाइल्ड वेलफेयर कमेटी, रांची जिले का सदस्य है. आज भी उसके विजिटिंग कार्ड पर अशोक स्तंभ प्रिंट है. नियमत: ऐसा करने का उसे अधिकार नहीं है तथा कानून के अनुसार यह कृत्य आपराधिक है. अफजल अपनी निजी गाड़ी में भी नेम प्लेट लगा कर घूमता है.

पूर्व में अफजल पर मांडर के किसानों के स्वयं सहायता समूह का ऋण (लगभग 25 लाख रु) हड़पने तथा संचालन के लिए मिले सेतु विद्यालय के शिक्षकों का वेतन (करीब पांच लाख रुपये) पचा लेने जैसे आरोप लगे थे. संस्था पर जिला शिक्षा परियोजना से काम पाने के लिए मांडर के तत्कालीन बीडीओ एलएम नायक का जाली हस्ताक्षर कर प्रमाण पत्र तैयार करने का भी आरोप था. अखबारों में भी ये तमाम खबरें छपी थीं.

अशोक स्तंभ लगाना गैरकानूनी

अधिवक्ता ए अल्लाम के अनुसार, राज्यपाल, राष्ट्रपति व अन्य योग्य व्यक्तियों को छोड़ किसी अन्य व्यक्ति द्वारा भारत के राष्ट्रीय चिह्न् अशोक स्तंभ का इस्तेमाल नेशनल इमब्लेम ऑफ इंडिया, प्रोविजन ऑफ इम्प्रोपर यूज (अनुचित उपयोग) एक्ट-2005 की धारा तीन व चार के तहत गैरकानूनी है. कोई अनधिकृत व्यक्ति यदि इसका इस्तेमाल अपने नेम-फेम या व्यवसाय के लिए करता है, तो एक्ट की धारा सात के तहत उसे दो से पांच साल की सजा का प्रावधान है.

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