सरकार ने अनुसूचित क्षेत्रों में तृतीय एवं चतुर्थ वर्ग की नौकरियों को 10 वर्ष के लिए स्थानीय लोगों के लिए आरक्षित कर दिया है, परंतु इस संदर्भ में स्थानीय का पैमाना पांचवीं अनुसूचित के प्रावधानों के अनुसार होगा या नहीं, इसका जिक्र नहीं किया गया है. सरकारी सेवकों के लिए जो प्रावधान किये गये हैं, वे इस राज्य के लिए स्वीकार्य नहीं है.श्री कोड़ा ने कहा कि राज्य के मूल निवासियों एवं आदिवासियों को स्थानीय साबित करने के लिए खतियान दिखाना होगा और अन्य केवल शपथ पत्र देंगे. यह तो मूल निवासियों एवं आदिवासियों के साथ अन्याय है. श्री कोड़ा ने कहा कि इस नीति में खामियां ही खामियां है. जिसे राज्य सरकार ने स्पष्ट नहीं किया है.
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स्थानीय नीति में स्थानीय की ही उपेक्षा : मधु कोड़ा
रांची: पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा भी राज्य सरकार द्वारा घोषित किये गये स्थानीयता की परिभाषा के खिलाफ खड़े हो गये हैं. उन्होंने कहा है कि इसमें स्थानीय की ही उपेक्षा की गयी है. श्री कोड़ा ने इसमें संशोधन की मांग को लेकर राज्यपाल को विस्तृत ज्ञापन भी सौंपा है. श्री कोड़ा ने कहा कि सर्वमान्य […]
रांची: पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा भी राज्य सरकार द्वारा घोषित किये गये स्थानीयता की परिभाषा के खिलाफ खड़े हो गये हैं. उन्होंने कहा है कि इसमें स्थानीय की ही उपेक्षा की गयी है.
श्री कोड़ा ने इसमें संशोधन की मांग को लेकर राज्यपाल को विस्तृत ज्ञापन भी सौंपा है. श्री कोड़ा ने कहा कि सर्वमान्य स्थानीय नीति का निर्धारण नहीं होना, झारखंड में आदिवासियों एवं मूल निवासियों के अस्तित्व पर प्रहार करने जैसा है. राज्य सरकार द्वारा घोषित की गयी स्थानीय नीति में कई त्रुटियां है. राज्य सरकार ने पांचवीं अनुसूचित के प्रावधानों को ताक पर रख दिया है.
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